सोमवार, 10 दिसंबर 2012

रिश्ते-1


1-सुशीला शिवराण
1
जीवन-पूँजी
होते हैं सच्‍चे रिश्‍ते
हानि-लाभ में
सुख-दुख में साथ
जीवन की सौगात
2
मिल जाते हैं
जन्म संग रिश्‍ते भी
कई ज्यों फूल
कई चुभें ज्यों शूल
कई देह की भूल ।
3
देखा अक्‍सर
लहू को होते पानी
वही कहानी
किया बेघर हमें
दिया था घर जिन्हें ।
4
क्यों होता है यूँ
अक्‍सर दुनिया में
खूब प्यार से
सींचें जिन रिश्‍तों को,
तन्हा हमको छोड़ें ।
5
उतार फ़ेंके
केंचुली की तरह
प्यार के रिश्‍ते
आँसू के साथ अब
रिसते रहे रिश्‍ते ।
-0-
 2-शशि पुरवार
1
दोस्ती के रिश्ते
हैं परम पावन
हीरे मोती -से
महकते गुलाब
जीवन -पथ पर
2
दो अजनबी
जीवन के मोड़ पे
कुछ यूँ मिले ,
सात फेरो में बँधा
जन्मो जन्मो का रिश्ता
3
चाँद- सितारे
खिले जब अँगना
स्नेहिल रिश्ता
आशीष रू  रे
हरसिंगार झरे ।
4
ये कैसे रिश्ते ?
नापाक इरादों से
आतंक भरे
सिमटते जज़्बात
बिखरे फिर ख़्वाब .
5
नाजुक रिश्ते
काँच से ज्यादा कच्चे
पारदर्शिता
विश्वास  की दीवारे
प्रेम  का है आना 
-0-

4 टिप्‍पणियां:

shashi purwar ने कहा…

sushila ji ke tanka sabhi acche lage , badhai ,

hamen shamil karne ke liye abhar

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर.....
सभी तांके लाजवाब.
बधाई सुशीला जी....बधाई शशि..

अनु

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

behtareen... Susheela jee aapka ek tanka hamne share kiya:)

ज्योति-कलश ने कहा…

जीवन के यथार्थ को कहते बहुत सुन्दर ताँका ....

जीवन-पूँजी
होते हैं सच्‍चे रिश्‍ते
हानि-लाभ में
सुख-दुख में साथ
जीवन की सौगात ....तथा ....

नाजुक रिश्ते
काँच से ज्यादा कच्चे
पारदर्शिता
विश्वास की दीवारे
प्रेम का है आईना ।...विशेष ...सुशीला जी एवं शशि जी के प्रति बहुत बधाई ..शुभ कामनाओं के साथ ...ज्योत्स्ना शर्मा