गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

जीवन- खेल


1-तुहिना रंजन
1.
श्रम की बूँदें  
निसंदेह  कभी तो  
बनेंगी मोती  
मिल जागी सीप  
गहरे पानी पैठ ।
 2.
जीवन- खेल  
समय का पहिया  
सुखद क्षण  
रंग -भरे सपने 
कभी दु:खी हो मन ।
 3.
गुनगुनाते  
सपनो को सजाते 
खिलखिलाते  
रूठते  ' मनाते  
! जी लें  हर पल !
 4.
सूखी माटी  भी  
भीग ओस -अश्रु  से 
बीज सहेजे  
अथक प्रयास से 
करती अंकुरण ।
5.
कर्मठ जोगी-  
परिश्रमी दो हाथ
प्रार्थनारत  
धन्य -धन्य हो रहे  
पा कृपा पुरस्कार 
-0-
2-अनिता ललित
1
अँधेरा छाए,
जो जीवन-पथ पर
घबराना ना !
आस-जोत जलाना
दिल को दीप बना !
2
जीवन -धार
रिश्तों के मंथन में
होती आहत
छलकते नयन
करके विष-पान !
3
जीवन मिला
चुनौतियाँ भी संग
न डरो मनु !
तुम हो सृजक की
एक उत्तम कृति !
4
जीवन -रंग
खिलें सुख-दुख में
हँसो, स्वीकारो !
हर रंग में छुपा
ईश्वर का नूर है !
5
जीवन हो यूँ
ज्यों जले दीप-ज्योति,
करे उजाला
जब तक लें साँसें,
नियति बुझ जाना!
-0-
 3-सुभाष लखेड़ा
  1
दया भाव हो,
सभी के लिए स्नेह
व  हो सद्भाव
किसी को दर्द न दें
ऐसा जीवन जिएँ।
2
जीवन क्या है ?
क्या सिर्फ साँस लेना
कदापि नहीं
जीवन उमंग है
हँसती तरंग है।
-0-

1 टिप्पणी:

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.