सोमवार, 11 मार्च 2013

कह दो क्या भूल हुई ?


रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
1
जब चमन सजाओगे
पाँवों में चुभते
काँटे भी पाओगे ।
2
मरने से कौन डरे ?
तेरी चुप्पी से
हम तो बेमौत मरे ।
3
नफ़रत क्यों पाले हैं
तुम तो मौन रहे
मेरे मन छाले हैं ।
4
कह दो क्या भूल हुई ?
फूलों -सी ममता
क्यों तुमको शूल हुई ?
-0-

7 टिप्‍पणियां:

Jyotirmai ने कहा…

सभी माहिया बहुत सुन्दर .पहला माहिया जीवन में .ख़ुशी के साथ दुःख भी होते हैं इस यथार्थ से परिचय देता है.

Shashi Padha ने कहा…

सुख दुःख के भावों में भीगे हुए सभी माहिया सुन्दर | बधाई एवं आभार

Vandana Ramasingh ने कहा…

जब चमन सजाओगे
पाँवों में चुभते
काँटे भी पाओगे ।

सुन्दर माहिया

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

क्या खूब...!
मन के दर्द जैसे सबके सांझे हो...इतना गहरे तक छूते हैं...|
बधाई...|

प्रियंका

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Dard se rubaru karati rachna,jisse sabka naata hota hai..achchha laga..bahut2 badhai...

Krishna ने कहा…

दर्द को झलकाते बहुत सुन्दर माहिया।
बहुत-२ बधाई

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी माहिया में गहरे भाव. जीने की राह बताते भाव. सच है...

जब चमन सजाओगे
पाँवों में चुभते
काँटे भी पाओगे ।

बहुत बधाई.