शनिवार, 25 जनवरी 2014

जाड़े की धूप

1-डॉ सरस्वती माथुर
1
सर्द हैं रातें
बर्फीली वादियों में
कँपकँपाते दिन
जाड़े की धूप
शीत लहरों पर
जैसे गरम बिछौनाl
-0-
रेनु चन्द्रा माथुर
1
 सर्द सुबह
कोहरे के रहते
आस रची है मैंने
साँझ  ढलते
सागर -सी गहरी
आह भरी है मैने ।

-0-

4 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सर्द सुबह एवं सर्द रात का सुन्दर चित्रण !
बधाई सरस्वती माथुर जी व रेनू चन्द्रा जी !

~सादर
अनिता ललित

Rachana ने कहा…

thand me sikude huye shabd bhavon ki garmahat de gaye aapdono ko badhai
rachana

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

धूप और बिछौना...क्या बात है...!
दो खूबसूरत सेदोका के लिए बहुत बधाई...|

ज्योति-कलश ने कहा…

जाड़े की धूप और सर्द सुबह का सुन्दर वर्णन ...बहुत बधाई आप दोनों को !