सोमवार, 17 मार्च 2014

मन आज गुलाल हुआ

शशि पुरवार
1
,री, सखि तुम आओ
रंगो की मस्ती
मेले में खो जाओ .
2
फिर मुखड़ा लाल हुआ
नयनों  में सजना
मन आज गुलाल हुआ।
3
मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली
4
रंग -भरी पिचकारी
छेड़  रहे सजना
सजनी , आज न हारी।
-0-

7 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत सुन्दर माहिया शशि जी ! विशेषकर तीसरा वाला...! कितनी सच्ची बात कही आपने ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

~सादर
अनिता ललित

pardeepsharma ने कहा…

shashi ji apke mahiya padhkar sach!...man gulal hi ho gaya....holi ki shubhkaamnaye

Manju Gupta ने कहा…

बढ़िया

बधाई

ज्योति-कलश ने कहा…

sundar maahiyaa ...
मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली......बहुत मनभावन ....बधाई शशि जी !

Pushpa mehra ने कहा…

sajani aj na hari. bahut sunder sashi ji apapko badhai va shubhkamanayen.

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

sundar mahiya :)

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

मनभावन यह होली
दो पल में भूले
वैरी अपनी बोली
सच है बिलकुल...रँगे पुते हुए तो वैसे भी नज़र नहीं आता कि कौन अपना है और कौन पराया...|
बहुत सुन्दर...बधाई...|