बुधवार, 11 नवंबर 2015

दीप जला देना



1-कृष्णा वर्मा

फ़ीका त्योहार
रहे ना ख़रीदार
कहे कुम्हार
ख़्ररीद लो बाबू जी
दीपक चार
बिजली की लड़ियाँ
क्यों आईं रास
मेरे बालकों का भी
कर लो ख्य़ाल
मन जाए त्योहार
मेरे घर भी
बच्चों को खुशियों का
दूँ उपहार
मुन्नी फुलझड़ियाँ
मुन्ना पटाखे
मन हरषा लेंगे
खाके बताशे
जल जाए दीपक
मेरे भी आले
जी लेंगे हम दीन
खुशियाँ पल चार।
-0-
2-अनिता मण्डा
1
तुम दीप जला देना
इस जग का सारा
अँधियार भगा देना।
2
आगे बढ़ते जाना
तुम सत के पथ पर
सब जन चलते जाना।
3
हर घर में दीप जले
फैले उजियारा
मन में विश्वास फले।
-0-

8 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें !!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, दीपावली की चित्रावली - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

मंजूषा मन ने कहा…

अति सुन्दर कृष्णा जी। बधाई

अनीता जी बधाई। सुन्दर

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

दीप पर्व मुबारक !!

Himkar Shyam ने कहा…

बहुत ख़ूब।

Himkar Shyam ने कहा…

बहुत ख़ूब।

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर माहिया...अनीता जी बधाई!

ज्योति-कलश ने कहा…

उजले भावों से जगमगाती रचनाएँ ..हार्दिक बधाई आदरणीया कृष्णा दीदी एवं प्रिय अनिता जी ..बहुत बधाई !

Jyotsana pradeep ने कहा…

deep si jagmagaati pyaari -pyari rachnayen !aadarniya krishna ji evam anita ji ko haardik badhaiyaan !