गुरुवार, 21 जुलाई 2016

718



प्रेरणा शर्मा
1
विश्वबधुत्व
नुमाइश में रखा 

प्रेरणा शर्मा

 

जैसे ज़ेवर
ज़ेवर की चमक
करती लकदक।
2
शांति-प्रयास
शीतलअहसास
दिल में जगे
श्वेत कपोत सदा
 कोने-कोने से उड़े ।
3
अमन -माला
भारत ने पहनी
सौग़ात मिली-
जर्जर मानवता
स्वजन बलिदान।
4
बड़ी ताक़तें
संधियाँ-प्रतिबंध
लगा लूटती
विकास की ज़ंजीर
बेवजह खींचती।
5
ड़ोसी देश
ज़हर उगलते
विश्वासघाती।
भुजंग-पय-पान
मिलेगा विष-दान।
6
नाम तो पाक
हरकतें नापाक
बने हैं  साँप,
तेवर दग़ाबाज़
बड़ा पैंतरेबाज।
7
मुँह में राम
बग़ल में छुरी
झूठ ही झूठ
है पाक बेईमान
बडा बदमिज़ाज ।
8
ख़ून-खराबा
अस्त-व्यस्त जीवन
सहमी साँसें
भारती का दामन
बेबस-औ-लाचार।
9
बहुत हुआ
बंधुत्व का ज़ेवर
शांति की माला।
कोई लातों का भूत
कब बातों से माना!
10
कब तलक
सहनशील बनें
ज़हर पिएँ?
घाव दगा के सहें
प्रत्यंचा क्यों न तने?
11
जागो जगाओ
भुजबल सँभालो
देश बचाओ
पौरुष दिखलाओ
दुश्मन ललकारो।
12
जय भारत!
उद्घोष गगन में
गूँज हवा में।
दुश्मन थरथराए
भारत खिलखिलाए।
-0-
-प्रेरणा शर्मा,228- प्रताप नाग्र, खाती पुरा रोड, वैशाली नगर , जयपुर
राज-302021

15 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

वर्तमान समस्याओं को दर्शाते ताँका ! सुंदर प्रस्तुति!
बधाई प्रेरणा जी !!!
~सादर
अनिता ललित

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

प्रेरणा जी पड़ोसी देश के बद दिमाग को दर्शाते आपके मन में देश प्रेम की भावना को दर्शाते तांका हैं हार्दिक बधाई ।

Krishna ने कहा…

बहुत बढ़िया ताँका...प्रेरणा जी हार्दिक बधाई।

Krishna ने कहा…

बहुत बढ़िया ताँका...प्रेरणा जी हार्दिक बधाई।

Pushpa mehra ने कहा…


अमन माला \भारत ने पहनी\सौगात मिली\जर्जर मानवता\स्वजन बलिदान|यह अकेला हाइकु स्वदेश-विदेश की सुनीति -अनीति स्पष्ट कर रहा,बधाई|

पुष्पा मेहरा

Manju Gupta ने कहा…

सामयिकता को दर्शाते बढ़िया ताँका

Prerana ने कहा…

मेरे सभी गुरूवृंद व मित्र ,स्वजनों के आशीर्वाद वशुभ
कामनाओं के फलस्वरूप मेरे भाव इस रचना के रूप में मूर्त
रूप ले सके। आप सब की सराहना ने मेरा उत्साह वर्धन किया है।यह ('ताँका 'के रूप में ) मेरी पहली रचना है। आप सभी का साभार धन्यवाद ।

Unknown ने कहा…

अति उत्तम सभी ताँका प्रेरणा जी ,पड़ोसी देश की हकीकत बताते देश के वीरों को जगाते बहुत अच्छे बन पड़े है । हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनायें ।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति

Jyotsana pradeep ने कहा…




वीरों को जगाते बहुत बढ़िया ताँका... सुंदर प्रस्तुति!

कब तलक
सहनशील बनें
ज़हर पिएँ?
घाव दगा के सहें
प्रत्यंचा क्यों न तने?

हार्दिक बधाई....

Prerana ने कहा…

हार्दिक धन्यवाद ! अनिता जी,सविता जी,मंजु जी, कृष्णा जी, पुष्पा जी,सुदर्शन जी व ज्योत्स्ना जी ।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सशक्त और सामयिक तांका हैं...| बहुत बधाई...|

ज्योति-कलश ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर , सामयिक ताँका...प्रेरणा जी हार्दिक बधाई!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

bahut sundai bahut bahut badhai...