सोमवार, 10 अप्रैल 2017

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1-विभा रश्मि
1
लहराता नद गाए 
तट हैं रेतीले
सोनल उनके साए 
2
झीलों का नीला जल
उतरे परबत  भी
जल में होती  हलच
3
बादल की नैया है
घूमे हैं परियाँ
पिय इंद्र खिवैया है
4
बरखा धीरे आना
जितना पास बचा 
सूनापन ले जाना
5
मीठी सी मनुहारें
छुटपन की यादें
वो भोली तकरारें
6
झिलमिल पानी चिलके
नदिया का दिल भी
खुश लाली से  मिलके
7
गोरी तो तितली है 
देखे साजन को
पनघट पे फिसली है
-0-
 2- सुनीता काम्बोज
1
हर आखर में तू है
चिट्टी से आती
गाँवों की खुशबू है ।
2
तारों की रात नहीं
तंग शहर में वो
गाँवों- सी बात नहीं
3
बस नेह बरसता है
गाँवो में अब भी
अपनापन बसता है ।

-0-

20 टिप्‍पणियां:

ज्योति-कलश ने कहा…

झीलों का जल , तितली गोरी , गाँवों की खुशबू और नेह से भरे माहिया बहुत भाए |
आदरणीया विभा दी और सखी सुनीता जी को हार्दिक बधाई !!

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

bdhiya mahiye.

Rekha ने कहा…

मीठी -सी मनुहारें
माहिया में ....... बहुत सुंदर !!

Rekha ने कहा…

मीठी सी मनुहारें
माहिया में ........अति सुंदर !!

Rekha ने कहा…

नेह बरसाते माहिया !!
सुनीता जी बहुत सुंदर माहिया !!!
हार्दिक बधाई !

sushila ने कहा…

बादल की नैया है
घूमे हैं परियाँ
पिय इंद्र खिवैया है ।

बहुत सुंदर विभा जी।

तारों की रात नहीं
तंग शहर में वो
गाँवों- सी बात नहीं

यथार्थ का सुंदर चित्रण।

बढ़िया माहिया। दोनों कवयित्रियों को बधाई !

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया !

झीलों का नीला जल
उतरे परबत भी
जल में होती हलचल ।

हर आखर में तू है
चिट्टी से आती
गाँवों की खुशबू है ।
आदरणीया विभा दी और सखी सुनीता जी को हार्दिक बधाई !!

A

Satya sharma ने कहा…

आदरणीया विभा जी एवं आदरणीया सुनीता जी आप दोनों ने बहुत ही अच्छा लिखा है।
बहुत ही सुंदर

Satya sharma ने कहा…

आदरणीया विभा जी एवं आदरणीया सुनीता जी आप दोनों ने बहुत ही अच्छा लिखा है।
बहुत ही सुंदर

Seema Singh ने कहा…

बहुत सुन्दर!

सुनीता काम्बोज ने कहा…

आप सबके स्नेह को नमन ..ह्रदयतल से आप सबकी आभारी हूँ ।..विभा दी बहुत सुंदर सार्थक माहिया

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

विभा जी और सुनीता जी आपदोनो ने अपनी अपनी रचना को खूबसूरत और सरसता से पाठक के सामने प्रस्तुत किया है बधाई हो |

Anita Manda ने कहा…

विभा जी बहुत सुंदर बिम्ब चुना है

बादल की नैया है
घूमे हैं परियाँ
पिय इंद्र खिवैया है ।

सभी सुंदर माहिये।

सुनीता जी यथार्थ चित्रण


तारों की रात नहीं
तंग शहर में वो
गाँवों- सी बात नहीं।

बधाई आप दोनों को

Dr.Purnima Rai ने कहा…

विभा जी,सुनीता जी
क्या कहूँ...लाजवाब

bhawna ने कहा…

आदरणीया विभा जी एवं प्रिय सुनीता जी बहुत ही सुंदर माहिया। बधाई।

Pushpa mehra ने कहा…

सुंदर माहिया के लिए विभा व सुनीता जी को बधाई |

पुष्पा मेहरा

renuchandra ने कहा…

विभा जी ,सुनीता जी बहुत सुन्दर माहिया के लिए आप दोनों को बहुत बहुत बधाई ।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर माहिया...ढेरों बधाई...|

sunita pahuja ने कहा…


विभा जी ,सुनीता जी बहुत सुन्दर माहिया के लिए आप दोनों को बहुत बहुत बधाई ।

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया आप दोनो को बहुत बधाई।