रविवार, 25 फ़रवरी 2018

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कृष्णा वर्मा
1
ओ मधुमास
मख़मली अहसास
जाग्रत हुई प्यास
छाया उल्लास
महके पल छिन
ठुमकता सुहास।
2
कैसा करार
थिरकती चेतना
मनवा बेकरार
सिसके चाह
तरस गईं बाहें
साजन उस पार।
3
प्रेम- जुनून
क़ायदा ना कानून
मिटना लगे चंगा
जले बेबाक
एक ओर दीपक
दूजी ओर पतंगा।
4
प्रेम -लगन
पथ पर बिछता
बन कर गुलाब
मेल की चाह
मिटाए या जिलाए
प्रेम बेपरवाह।
5
छोटा जीवन
गिनी-चुनी घड़ियाँ
चलना सम्भल के
टूटते रिश्तों
की, जोड़ लो कड़ियाँ
ज्यों मोती की लड़ियाँ।
6
है अनमोल
यह ख़ून के रिश्ते
गँवाना ना बेकार
देके अपना
उन्हें हिस्सा रोकले
आँगन में दीवार।
7
पीड़ा क्या हास
कटा करवटों में
उम्र का बनवास
नित आँसुओं
ने लिखा चेहरे पे
नूतन इतिहास।
8
मिले फुर्सत
तो पढ़ लेना कभी
पानी की तहरीरें
हर दरिया
के, हैं हज़ारों साल
पुराने अफ़साने।
9
सूखें शजर
जब कभी रिश्तों के
भीगी हुई पलकों
से, सींच देना
फूट पड़ेंगी फिर
सुकोमल कोंपलें।
10
हुए जब से
हम तुमसे दूर
किसको बतलाएँ
हो गए हम
ख़ुद स्वयं से दूर
पीर बनी नासूर।

7 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत सुंदर भावों से परिपूर्ण सेदोका ... आ. कृष्णा दीदी जी! हार्दिक बधाई!!!

~सादर
अनिता ललित

Pushpa mehra ने कहा…


सभी सेदोका सुंदर हैं,नं. ३ और ५ विशेष लगे,कृष्णा जी बधाई |

पुष्पा मेहरा

Jyotsana pradeep ने कहा…

सभी सेदोका सुन्दर हैं आद कृष्णा जी ...भावों का सुखद परिणाम ...5,9 और 10 नें विशेष मोहा मन को !
बहुत - बहुत बधाई आप को !!

Unknown ने कहा…

सभी सेदोका मनभावन है कृष्णाजी । बहुत सारी बधाई ।

Unknown ने कहा…

सुंदर

bhawna ने कहा…

भावपूर्ण सेदोका

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सुन्दर सेदोका...बहुत बधाई आपको...|