शनिवार, 12 मई 2018

807-अमृतरस


डॉ.कविता भट्ट

ये आलिंगन
हमारे नयनों के
अमृतरस,
मैं  आकण्ठ निमग्न
हर्षित मन
उद्वेलित-सा तन।
चलचित्र -से
घूमे मेरी स्मृति में
वे संस्मरण,
पुनः प्रियवर का
मिला सरस,
निश्छल आमंत्रण,
मूक अधर
आशा अनुगुंजन
प्रेम का निबन्धन ।
-0-
[ चित्र-गूगल से साभार]

11 टिप्‍पणियां:

Satya sharma ने कहा…

कितना सहज ,कितना मधुर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
बहुत बहुत बधाई कविता जी

Krishna ने कहा…

सरस भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
बधाई कविता जी।

सुनीता काम्बोज ने कहा…

उत्कृष्ट सृजन के लिए बधाई कविता जी

Vibha Rashmi ने कहा…

कविता जी को भावमयी अभिव्यक्ति के लिए स्नेहिल बधाई ।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना, बधाई कविता जी।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut khub! Bahut bahut badhai.

बेनामी ने कहा…

कोमल शब्द, कोमल भावनाएं \ बधाई | सुरेन्द्र वर्मा |

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर , सरस प्रस्तुति , हार्दिक बधाई !

नीलाम्बरा.com ने कहा…

हार्दिक आभार आप सभी का, कृपया भविष्य में भी सहृदयता बनाये रखिएगा/

सादर
कविता भट्ट

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

प्रेममय भावपूर्ण चोका! बहुत बधाई आपको कविता जी!!!

~सादर
अनिता ललित

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारा चोका है...हार्दिक बधाई...|