रविवार, 24 जून 2018

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1-मन्त्रविद्ध मैं
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' 

मन्त्रविद्ध मैं
मन्त्रद्रष्टा ऋषि- से
पढते जाते
तुम मन के पन्ने।
जो मैंने सोचा,
पर कभी  न कहा
जो दर्द सहा 
जो सही बरसों से
दी  अपनों ने 
निर्मम बनकर
मूक व्यथाएँ
बढ़ गए थे आगे
भोलेपन से,
बाँचे तुमने सारे
गीले आखर।
मैं भेद नहीं जानूँ
इस सृष्टि के
पर तुमको जानूँ
मुझे छूकर
तुमने पढ़ डाली
सभी कथाएँ
मेरी मौन व्यथाएँ,
वे खींची सभी
दौड़ाती रही मुझे
जो -जो वल्गाएँ;
तुम जटा पाठ -से
रोम- रोम में
प्रणव बन छाए
सभी भ्रम मिटाए।
-0-

2-बड़ी  याद आती है

सुदर्शन रत्नाकर

मीठी सी याद
अब भी भीतर है
कचोटती है
ठंडे हाथों का स्पर्श
होता है मुझे
हवा जब छूती है
मेरे माथे को।
दूर होकर भी माँ
बसी हो मेरी
मन की सतह में
आँचल तेरी
ममता की छाँव का
नहीं भूलता
बडी याद आती है
जब बिटिया
मुझे माँ बुलाती है
जैसे बुलाती थी मैं।
 -0-

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14 टिप्‍पणियां:

Satya sharma ने कहा…

आदरणीय भैया जी एवं आदरणीया सुदर्शन रत्नाकर जी
आप दोनों के बहुत ही भावपूर्ण सृजन ।
बहुत कुछ सीखना है आपकी लेखनी से ।
सादर

Unknown ने कहा…

मन्त्रविद्ध मैं ,बहुत ही सुन्दर भाव पिरोये इस चोके में ।
और सुदर्शन रत्नाकर की माँ की मीठी सी याद दिल को छू गई । माँ यादों के रूप में हमेशा दिल में रहती है ।

bhawna ने कहा…

आदरणीय भैया व आदरणीया दीदी जी
बहुत बहुत भावपूर्ण सृजन ।

सादर,
भावना सक्सैना

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर दोनों चोका।
आ. भाईसाहब, आ. सुदर्शन जी को हार्दिक बधाई।

सुनीता काम्बोज ने कहा…

आदरणीय भैया जी ,आदरणीय सुदर्शन दीदी अनुपम सृजन ..आप दोनों को हार्दिक बधाई 🙏🙏🙏🙏

Shashi Padha ने कहा…

मंत्रविद्ध --- एक नूतन विषय के भीतर जीवन के उतार चढ़ाव को बहुत सुंदर ढंग से बुना गया है| इसमें सत्य भी है और प्रेरणा भी| बधाई भैया|


Shashi Padha ने कहा…

माँ --जैसे मैं बुलाती थी ---एक मीठा अहसास है इस रचना में| आपको बधाई सुदर्शन जी|

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

bahut bhavpurn choka meri bahut bahut shubhkamnayen..

ज्योति-कलश ने कहा…

"मंत्रविद्ध मैं" बहुत सुन्दर भाव , भाषा , लय समन्वित चोका , हार्दिक बधाई !

"मीठी सी याद" भी मन भिगो गई , बहुत प्यारी रचना !
खूब बधाई !!

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत भावपूर्ण तथा प्यारी रचनाएँ हैँ... आप दोनों सशक्त रचनाकारों की कलम को सादर नमन !

Anita Manda ने कहा…

अद्भुत लय भाव, बधाई।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

आप सब का हार्दिक आभार।।

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर भाव लि‍ए दोनों रचनाएं। बधाई।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

दो अलग अलग चोका...दो अलग रिश्ते...पर उन दोनों में ही भावनाओं की अप्रतिम अभिव्यक्ति हुई है...| आप दोनों को हार्दिक बधाई...|