मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

854


1-सुदर्शन रत्नाकर
1
तुम बात बनाते हो
वादा करके भी
पास नहीं आते हो।
2
ऐसा क्यों कहती हो
मुझसे दूर नहीं
इस दिल में रहती हो।
3
शीतल यह छाया है
सुख खोकर ही तो
मैंने कुछ पाया है।
4
लम्बी ये रातें हैं
आओ बैठ करें
दिल में जो बातें हैं।
5
छत पर कागा बोला
ठंडी पवन चली
मन मेरा भी डोला।
6
बेघर जो होते हैं
सरदी में भी, वो
पटरी पर सोते हैं।
-0-सुदर्शन रत्नाकर,ई-29, नेहरू ग्राउण्ड,फ़रीदाबाद 121001
-0-
2-मंजूषा मन
1
पीले पत्ते टूटे
लती बेला में
रिश्ते सारे छूटे।
2
तुम को ना छोड़ेंगे
जन्मों का नाता
कैसे हम तोड़ेंगे।
3
नातों की बात न कर
कौन निभाता है
नातों को जीवन भर।

4
जीवन भर साथ रहो
भोले इस मन से
क्यों रूठे आप कहो।
5
रूठे हम तुम से कब 
खेल गई किस्मत
हम बिछड़े तुम से ब।
6
बिछड़े भी हैं मिलते
मन में चाहत हो
दिल फूलों से खिलते।
7
फूलों की बात न कर
संग चलो जो तुम
हम चल लें काँटो पर।
-0-

10 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

छत पर कागा बोला
ठंडी पवन चली
मन मेरा भी डोला।
bahut khoob
rachana

बेनामी ने कहा…

बिछड़े भी हैं मिलते
मन में चाहत हो
दिल फूलों से खिलते।

kya hi sunder likha hai
rachana

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर मनमोहक माहिया...रत्नाकर जी और मंजूषा जी हार्दिक बधाई।

नीलाम्बरा.com ने कहा…

रत्नाकर जी , मन जी हार्दिक बधाई, सुन्दर माहिया।

एक बार चले आओ
तुमसे लिपट लूँगी
मेरी आस फले आओ।


मेरा यह माहिया कैसा है, पहली बार लिखा।

त्रिवेणी ने कहा…

इक बार चले आओ 12
तुमसे लिपटूँगी 10
अब आस फले आओ 12

Sudershan Ratnakar ने कहा…

मंजूषा जीबहुत सुंदर ,भावपूर्ण माहिया । बधांई

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

अतिसुन्दर, भावपूर्ण माहिया।
आदरणीया सुदर्शन दीदी एवं मन जी...हार्दिक बधाई आप दोनों को!

~सादर
अनिता ललित

Jyotsana pradeep ने कहा…


बहुत सुंदर, सरस माहिया..आद.रत्नाकर जी और मंजूषा जी को हार्दिक बधाई !

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर और मनभावन माहिया. बधाई रत्नाकर जी एवं मंजूषा जी.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत मनभावन माहिया हैं सभी...| आप दोनों को बहुत बधाई...|