शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

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कमला निखुर्पा

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कहीं भोर है
कहीं साँझ की बेला
खुशियाँ कहीं 
कहीं दु:खों का मेला 
ये जग अलबेला   
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8 टिप्‍पणियां:

Pushpa mehra ने कहा…


बहुत ही सुंदर |

पुष्पा मेहरा

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर सेदोका। बधाई कमला जी

Sudershan Ratnakar ने कहा…

सॉरी ताँका

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

आप सभी का धन्यवाद

bhawna ने कहा…

अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति कमला जी।

सादर
भावना सक्सैना

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत अच्छा तांका , हार्दिक बधाई...|

Jyotsana pradeep ने कहा…


सुन्दर सृजन हेतु हार्दिक बधाई कमला जी !!