गुरुवार, 15 अगस्त 2019

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कमला निखुर्पा

ढूँढे बहिन
भैया की कलाइयाँ
नेह की डोर 
बाँधती चहूँ ओर
छूटा पीहर 
बसा भाई विदेश 
सूना है देश 
आओ घटा पुकारे 
राह निहारे 
गाँव की ये गलियाँ 
नीम की छैयाँ
गर्म चूल्हे की रोटी 
गागर-जल 
आँगन की गौरैया 
बहना तेरी 
लगे सबसे न्यारी 
सोनचिरैया 
पुकारे भैया-भैया !!
सज-धजके
रँगी चूनर लहरा
घर भर में
पैंजनिया छनका 
बिजुरी बन 
चित्र;गूगल से साभार
ले हाथों में आरती 
रोली-तिलक
माथे लगा अक्षत 
भाई दुलारे 
डबडबाए नैन 
छलक जाए  
पाके एक झलक
जिए युगों तलक !!!
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18 टिप्‍पणियां:

Anita Manda ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत

dr.surangma yadav ने कहा…

सुन्दर, अति सुंदर!

Seema Singh ने कहा…

वाह! बहुत सुंदर...

Dr. Shailja Saksena ने कहा…

मन भर आया, बहुत सुंदर!

Pushpa mehra ने कहा…


बहुत ही भावपूर्ण सुंदर चोका है |
पुष्पा मेहरा

sushila ने कहा…

बहुत मनभावन चोका है आदरणीय कमला जी।
रक्षाबंधन की बधाई, शुभकामनाएँ ।

sushila ने कहा…

बहुत मनभावन चोका है आदरणीय कमला जी।
रक्षाबंधन की बधाई, शुभकामनाएँ ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर, मन को छू गया।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

वाह! बहुत खूब कमल जी!

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

धन्यवाद सभी का

Sudershan Ratnakar ने कहा…

भावपूर्ण चोका।बधाई कमला जी।

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

भावपूर्ण, बहुत बढ़िया

Dr. Purva Sharma ने कहा…

सुंदर रचना
हार्दिक शुभकामनाएँ

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही सुंदर , भावपूर्ण सृजन

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत भावपूर्ण और सुंदर...बहुत बधाई

Jyotsana pradeep ने कहा…

अति सुंदर,भावपूर्ण सृजन.....बधाई कमला जी!!

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

मन को छू गया चोका, बहुत बधाई कमला जी.