शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019

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1-मंजूषा मन
1
लिख दे प्रेम
अंतिम निर्णय-सा
तोड़ कलम।
2
प्रेम पुस्तक
कर दे हस्ताक्षर
अंतिम पृष्ठ।
3
ऋतु ने ओढ़ी
कोहरे की चादर
नर्म धवल।
4
बाहें समेटे
उकड़ू बैठे पेड़
सर्दी से डरें।
5
ओस के मोती
पत्तों पर ठहरे
चमकें हीरे।
6
किरचें बनीं
यादें बनके चुभीं
ओस की कनी।
-0-
2-आशा बर्मन
1.
फूल चन्दन
प्रार्थना व पूजन
हो शुद्ध मन
2
झर निर्झर,
संगीतमय स्वर
आनंद भर
3
हरित पात
रिमझिम बरखा
सद्यस्नात सा
4
फैला आकाश,
मुक्ति का एहसास
उड़ता पाखी
5
उदास मन
वेदनामय क्षण
अकेलापन
6
चल निकला
तर्कों का सिलसिला
कुछ न मिला
-0-

8 टिप्‍पणियां:

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

सुंदर हाइकु , बधाई ।
रमेश कुमार सोनी , बसना

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

सुंदर हाइकु , बधाई ।
रमेश कुमार सोनी , बसना

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर सभी हाइकु...मंजूषा जी, आशा जी को हार्दिक बधाई।
आशा बर्मन जी आपका हाइकु परिवार में हार्दिक स्वागत है।

Dr. Purva Sharma ने कहा…

सुंदर सृजन...
हार्दिक शुभकामनाएँ मंजूषा जी एवं आशा जी ।

Vibha Rashmi ने कहा…

मन जी और आशा जी के बहुत सुन्दर , भावमय हाइकु । बधाई दोनोें को ।

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर हाइकु ।बहुत-बहुत बधाई आप दोनों को ।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारे हाइकु...आप दोनों को बहुत बधाई...|

Pushpa mehra ने कहा…


सभी हाइकु सुंदर भाव भूमि पर लिखे गये हैं आशा जी का हाइकु 'चल निकला \तर्कों का सिलसिला \कुछ न मिला| विशेष अनसुलझी समस्या ग्रस्त पृष्ठभूमि को दर्शाता हुआ अच्छा लिखा गया है ,दोनों को हार्दिक बधाई |

पुष्पा मेहरा