सोमवार, 25 नवंबर 2019

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मंजूषा मन

1
छू कर तुम्हें
आये महकी हवा
सन्देसा ला
2.
प्रेम तुम्हारा
शीतल करे मन,
पा हुए धन्य।
3.
पवन बनूँ
पहुँचूँ तुम तक
जाऊँ न दूर।
4.
छूकर तुम्हें
खुशी से मर जाऊँ
मैं तर जाऊँ।
5.
छू कर तुम्हें
जान में जान
जीना आसान।

20 टिप्‍पणियां:

Shiam ने कहा…

अति सुंदर कल्पना - हृदय से निकली हैं आवाज़ - मन को छू गयी | अंग्रेज़ी कवि शैली की (वेस्ट विंड ) याद करा दी आपने | बधाई की पात्र है आप | श्याम हिन्दी चेतना

Rishabh Shukla ने कहा…

सुन्दर... रचना|

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण हाइकु
हार्दिक बधाई

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचनाएँ । बधाई आपको ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह ... लयबद्ध हाइकू ...
पढने का आनद अलग ही है इन्हें ... बहुत लाजवाब ...

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

सीधी ,सच्ची, सुदर रचनाएँ!बहुत खूब मंजूषा जी!

Krishna ने कहा…

बहुत भावपूर्ण हाइकु...हार्दिक बधाई

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

सुन्दर सृजन मंजूषा जी हार्दिक बधाई |

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण हाइकु बधाई

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारे हाइकु...ढेरों बधाई

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार आपका आदरणीय

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार ऋषभ जी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार सत्या जी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार सुरँगमा जी

मंजूषा मन ने कहा…

जी हार्दिक आभार आपका

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार प्रीति जी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार कृष्णा जी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार सविता जी

मंजूषा मन ने कहा…

सादर आभार सुदर्शन दीदी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार प्रियंका जी