शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020

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1-कृष्णा वर्मा
1
म्पट काल
झूठ का बोल-बाला
झूठ का सुर ताल
झूठ आयाम
झूठ का गुनगान
सत्य हुआ अनाम।
2
बेपरवाह
रहता अनगढ़
होता ख़ूबसूरत
सज्जित हुआ
घिरा दिखावे में औ
जीवन हुआ ध्वस्त।
3
ढलान पर
पग हों नियंत्रित
पथ चढ़ाइयों के
करें स्वागत
पार्थ बनना सीख
वक़्त के सारथी का।
3
कैसी भी पीर
अपनी या पराई
नहीं कोई अंतर
धूप-छाँव का
है जुदा विभाजन
सबकी ज़िंदगी का।
4
दुनिया है ये
साहिल न सहारा
ना ही कोई किनारा
हैं तन्हाइयाँ
मरी यहाँ रौनकें
केवल रुसवाइयाँ।
5
बाँटते रहे
समझ कर प्यार
ये खुशीयाँ उधार
लौटाया नहीं
जब तूने उधार
मरा दिल घाटे से।
6
बुनी चाहतें
पिरोते रहे ख़्वाब
तुम्हारी दुआओं में
होती शिद्दत
पाते प्रेम, रहती
ना ख़ाली फरियाद।
7
दोनों अदृश्य
प्रार्थना औ विश्वास
अजब अहसास
असंभव को
संभव करने की
क्षमता बेहिसाब।
8
पीड़ा क्या हास
कटा करवटों में
उम्र का बनवास
नित आँसुओं
ने लिखा चेहरे पे
नूतन इतिहास।
9
फुर्सत मिले
तो पढ़ लेना कभी
पानी की तहरीरें
हज़ारों साल
पुराने अफ़साने
हैं हर दरिया के।
-0-
नवलेखन
प्रकृति दोशी
1
जाने दो घर

कोरोना से नहीं तो
मर जाएँगे
भूख से ही वरना
होगा दोष किस का?
2
पैसा नहीं है
खाना कैसे खिलाऊँ
अब बच्चों को
छीन लिया मुझसे
कोरोना ने वेतन।
3
घर में ही हैं
घर में रहेंगें हम
लॉक डाउन
का पालन करेंगे
बचे रहेंगे हम।
-0-

15 टिप्‍पणियां:

Anita Manda ने कहा…

समसामयिक सुंदर लिखा, शुभकामनाएं प्रकृति को।

Shashi Padha ने कहा…

प्रकृति कितना कुछ सिखाती है और दिल खोल कर देती है | आप दोनों की रचनाओं में प्रकृति के विभिन्न रूप हैं | सुंदर सृजन के लिए बधाई आपको | विशेषकर प्रकृति दोषी जी को |

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

कृष्णा जी और प्रकृति आप दोनो को सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई |

dr.surangma yadav ने कहा…

सुन्दर सृजन के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई ।

Shiam ने कहा…

इतनी सुंदर रचना पढकर ऐसा लगा कि जैसे कोई दार्शनिक नये -नये उदाहरणों से चित्र बना रहा है और जीवन के परिवेश में मन की दशा व्यक्त कर रहा हो | कृष्णा जी अति सुंदर भावत्मक रचना के लिए हृदय से बधाई -श्याम हिन्दी चेतना

इसके नव कवयित्री की रचना बहुत ही प्रासंगिक है | बहुत अच्छी कल्पना के लिए -बधाई -श्याम

Sudershan Ratnakar ने कहा…

कृष्णा जी,बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन के लिए हार्दिक बधाई

नवलेखनमें प्रकृति की सामयिक रचना अति सुंदर ।बधाई आपको।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बढ़िया एवं भावपूर्ण सृजन! हार्दिक बधाई कृष्णा दीदी व प्रकृति जी!

~सादर
अनिता ललित

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन... हार्दिक बधाई प्रकृति जी।

भावना सक्सैना ने कहा…

कृष्णा जी और प्रकृति दोनो की रचनाएँ सुन्दर व भावपूर्ण। आप दोनों को हार्दिक बधाई।

मंजूषा मन ने कहा…

आदरणीय रामेश्वर सर बेटी प्रकृति के ताँका प्रकाशित करने के लिए आपका हार्दिक आभार...

Dr. Purva Sharma ने कहा…

कृष्णा जी बहुत सुंदर, गहन एवं भावपूर्ण ताँका हार्दिक बधाइयाँ ।

प्रकृति को समसामयिक सृजन के लिए बधाइयाँ और आपका साहित्य जगत में स्वागत है।

मंजूषा मन ने कहा…

कृष्णा जी के भावपूर्ण सेदोका... हार्दिक बधाई

सदा ने कहा…

बहुत ही सुंदर भावमय करता शब्द सृजन ... बधाई सहित अनंत शुभकामनाएं

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सामयिक चिन्तन की रचनाएँ. आप दोनों को बहुत बधाई.

Jyotsana pradeep ने कहा…


आद.कृष्णा जी और प्यारी बिटिया प्रकृति, आप दोनो को सुन्दर,भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई |

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