सोमवार, 27 जुलाई 2020

928-एक पत्र, ईश्वर के पते पर


माँ के जन्मदिन पर उनके नाम एक पत्र, ईश्वर के पते पर
-अनिता ललित

मेरी प्यारी माँ,
                ढेर सारा प्यार,
आज २७ जुलाई, आपका जन्मदिन है! ईश्वर का कितना भी शुक्रिया अदा करूँ कम है –कि उसने आपको इस धरती पर भेजा! मैंने आपकी कोख़ में अपनी पहली साँस ली, फिर आपके स्नेह की छत्रछाया में पली-बढ़ी और मुझे आपको ‘माँ’ कहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ!          
आपको अपने शब्दों में उतारना मेरे लिए सदा से ही बहुत कठिन रहा है! आप इतनी ख़ूबसूरत, स्नेहमयी, सरल, सहज, सीधी-सादी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाली तथा साफ़ एवं पवित्र मन की स्त्री थीं कि आपके जैसा दुनिया में कोई दूसरा होना ही मुश्किल है! मेरे लिए तो सच में ही, ईश्वर यदि कहीं था, तो वह आपके ही रूप में था! मेरे हिस्से का कोई भी कष्ट शायद आपके रहते मैंने कभी अकेले नहीं सहा –मुझसे पहले आप उसे अपने ऊपर ले लेती थीं! मैं तो चिड़िया के बच्चे की तरह हमेशा ही आपके डैनों में सुरक्षित थी! मगर कब तक ... जाना तो हर आने वाले को होता है, यह बात स्वीकारने में मुझे थोड़ा वक़्त लगा था!
शरीर से आज आप हमारे बीच नहीं हैं, मगर सच तो यह है कि आपको मैंने कभी अपने से दूर महसूस ही नहीं किया! आप कल भी मेरे दिल में थीं, आज भी हैं और सदैव रहेंगीं!
         पता है माँ! आज जब बच्चे मुझे किसी-किसी बात पर कहते हैं कि ‘वाह! माँ! एकदम नानी वाली भिन्डी बनाई है! म्मम्म...क्या स्वाद है!’ या  ‘माँ! तुम बिल्कुल नानी की तरह खाने में लाड़ दिखाने लगी हो!’ या ‘माँ! तुम बिल्कुल नानी की तरह ही सीधी-सादी हो, थोड़ा तो चालाक बनो!’ ... तो कभी-कभी तो मुझे भी ऐसा लगने लगता है कि मैं आपके जैसे होती जा रही हूँ! तब मुझे बहुत गर्व महसूस होता है कि चलो, मैं कहीं तो आप -सी हूँ! जैसे अच्छे संस्कार और विचार आपने मुझे दिए, वैसे ही मैं अपने बच्चों को भी देती रहती हूँ! आपने हमेशा मुझे यही सिखाया कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं! तुम्हारे कर्म ही तुम्हारी पहचान हैं! –बस यही बात मैंने गाँठ बाँध ली है, और बच्चों को भी यही समझाने की कोशिश करती हूँ!
        वैसे तो मैं सदैव आपको अपने क़रीब पाती हूँ! मगर पता है माँ! आपकी कमी सबसे ज़्यादा कब खलती है? –तब, जबकि किसी से अपने दिल की बहुत अंतरंग बात करनी हो -जैसे मैं और आप हमेशा करते थे न! –वैसे ही! मगर ईश्वर ने उसका भी उपाय कर दिया है –आपकी नातिन, यानी मेरी बिटिया! उसने भी तो आपसे उसी तरह प्यार किया है, जिस तरह मैंने किया है! बल्कि कभी-कभी तो उसे मुझसे भी अधिक आपकी चिंता रहती थी! अब शादी के बाद वह अपने घर में है, मगर दूर से ही सही, वह भी बिल्कुल आपकी ही तरह मेरा ख़याल रखती है, मुझे मेरी बेवक़ूफ़ियों पर टोकती है, मुझे समझाती है, आपकी ही तरह मेरे आगे ढाल बनकर खड़ी हो जाती है! मेरे एक शब्द से या अक्सर बिना कहे ही मेरे दिल की परेशानी को भाँप लेती है! कभी-कभी तो मुझे लगता है कि मेरी एक नहीं दो-दो माँ हैं! 
आज और हर दिन, मेरी यही प्रार्थना है कि आप सदैव ईश्वर के सानिध्य में, उनकी गोद में रहें –हर दुःख, हर तक़लीफ़ से दूर! वहीं से अपना स्नेहाशिर्वाद हम सबपर हमेशा-हमेशा बनाये रखिये!

दूर हो तो भी
सदा साथ रहती
माँ नहीं खोती!

मन की बातें
जो माँ से थी करती -
बिटिया बाँटे!
-0- अनिता ललित ,1/16 विवेक खंड, गोमतीनगर, लखनऊ 226010



13 टिप्‍पणियां:

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर हाइबन।दिल में भीतर तक छू गया।शायद इसलिए क्योंकि आपने ह्रदय की गहराई से माँ के प्यार को महसूस करके लिखा है।नमन

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बहुत अच्छी अभिव्यक्ति...सदा साथ रहती, माँ नहीं खोती ����
दूसरा भी अति सुन्दर... बेटियों में भी माँ होती है।
हार्दिक बधाई अनिता जी।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत भावुक और भावपूर्ण हाइबन. बहुत बधाई और शुभकामनाएँ अनिता जी.

Sanjiv Vaidya ने कहा…

अतिसुंदर अभिव्यक्ति

भीकम सिंह ने कहा…

अच्छे हाइबन के लिए अनिता ललित जी को हार्दिक बधाई और सम्पादकों को भी ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

माँ कहाँ दूर होती है?

सुन्दर।

Krishna ने कहा…

मन को गहरे छू गया आपका भावपूर्ण हाइबन...बहुत-बहुत शुभकामनाऎँ अनिता जी।

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर ।

बेनामी ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण हाइबन!
हार्दिक बधाई आदरणीया!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

मेरे हृदय के भाव आप सभी के मन तक पहुँचे, ये मेरा सौभाग्य है!
प्रोत्साहन हेतु आप सभी का हृदयतल से आभार!

~सादर
अनिता ललित

Jyotsana pradeep ने कहा…

मन को भावुक कर गया आपका हाइबन सखी....
सचमुच माँ नहीं खोती !बहुत बधाई आपको |

अशोक सलूजा ने कहा…

आप के मां के हर लेख पर मैं निशब्द हो जाता हूं...आप जानती है मेरे पास लफ्जो की कमी है..
आप के स्नेह ने मेरे बहुत रिश्तों को अंजाम दिया है,जिन से मैं कभी वाकिफ ही नहीं था।स्नेह और आशीर्वाद🌹

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत मार्मिक , क्या कहूँ !