शनिवार, 22 अगस्त 2020

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 1-तुम’ 

डॉ. पूर्वा शर्मा

‘मैंने तुम्हें दबाकर रखा है’- इस बात का मुझे भली-भाँति ज्ञान है । मैंने तुम्हें
बाहर निकलने का कोई अवसर नहीं दिया, पर क्या करूँ ! मेरी भी मजबूरी है । यदि तुम्हें किसी ने देख लिया , तो सब जान जाएँगे कि माज़रा क्या है ! दरअसल तुम तो हरपल मेरे साथ ही हो, दिखो या न दिखो तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता । वैसे
तुमको छुपाकर रखना कोई आसान कार्य नहीं । पल-पल सहना पड़ता है, तिल-तिल
बहुत जलना पड़ता है । हृदय में उठी असहनीय पीड़ा एवं तेज़ कंपन के बावजूद भी तुम्हें छुपा लेने का कारण मेरे इतने वर्षों का अभ्यास ही है कि तुम्हें कोई देख नहीं पाता । हाँ, कई बार कोई संवेदनशील व्यक्ति सामने आ जाए तो वह तुम्हारे होने का एहसास भाँप लेता है, लेकिन इनसे बचने के अनेक उपाय भी मैंने खोज रखे हैं - नज़रें झुका लेना, मुँह फेर लेना या थोड़ी दूरी बना लेना इत्यादि । कई बार बहुत कठिन होता है यह सब करना, किन्तु तुम्हें इस ज़ालिम दुनिया से छुपाने में मैंने महारत हासिल की है । सच कहूँ तो तुम्हीं मेरी ताकत हो । वैसे तुम भी बड़े होशियार हो ! सबके जाने के बाद, धीरे से एकांत में....... तुम बिन बुलाए ही चले आते हो, पता नहीं कैसे, पर तुम इस बात का अंदाज़ा लगा लेते हो कि अब कोई नहीं है तुम्हें देखने वाला । तुम नैनों के कपाट खोल बहुत ही तेज़ रफ़्तार से बाहर चले आते हो, तुम्हारे बाहर आते ही तुम्हारा ‘यह घर’ गुलाबी और फिर धीरे-धीरे सुर्ख लाल हो जाता है । हर बार सबसे छुपने वाले, सामने न आने वाले ‘तुम’ ; अबकी बार
रुकते नहीं, नैनों से कपोल और फिर न जाने कहाँ-कहाँ तक का सफर तय करते हो । कई बार हथेली, तो कभी तकिया, तो कभी कहीं ओर..... मेरा रोम-रोम भीगोकर, सब कुछ नम-सा कर जाते हो । बहुत मुश्किल से तुम्हें बाहर आने की आज़ादी मिलती है, तो तुम इस बाहर की दुनिया में जी भरकर घूमते हो, अनवरत बहते ही रहते हो । ऐसे समय पर तुम्हें रोकना मेरे बस की बात भी नहीं, मेरे मन में भी यही सोच उठती है कि कोई नहीं देख रहा तो छककर, पेट भरकर तुम इस बाहरी दुनिया का मज़ा ले लो । एक कमाल की बात है कि अपना निश्चित समय बिताने पर तुम फिर से वहीं छुप जाते हो, इस बाहरी दुनिया से गुम हो जाते हो और फिर से इन नैनों की कैद में चुपचाप जाने के लिए तैयार .... । दूसरी कमाल की बात यह है कि बाहर तो तुम घूमते हो , लेकिन उसका सुकूँ मुझे मिलता है ,जैसे इस हृदय के घावों पर तुमने कोई जादुई  लेप लगा दिया   हो । वैसे अच्छा ही है तुम सबके सामने बाहर नहीं आते, तुम्हीं तो मेरी जादुई  शक्ति हो ; जो मुझे अंदरूनी ताकत देती है और मजबूत बनाती है । बस सफलता इसी में हैं कि तुम्हें सहेजकर, छुपाकर अपने नैनों में रखा है । जहाँ कोई भी तुम्हें देख नहीं पाता ।
 नहीं दिखते,
एकांत में रिसते
जादुई मोती ।
-0-
2-सन्ताप भार
रश्मि विभा त्रिपाठी 'रिशू'

"इक अम्बर का ही सहारा था....वो दूर क्या गया....सब कुछ बिखर गया...."
"भूमि ये भार क्यों सहती है बेटी! कहीं कुछ भी नहीं बिखरा....हाँ टूटा ज़रूर है....
एक सहारे की उम्मीद ही है, जो तोड़ रही है तुझे.....खुद को मजबूत बना
वरना इस तरह से बिखरेगी कि फिर कभी खुद को समेट नहीं पाएगीजिसे आना ही नहीं इस गली....उसके लौट आने की आस में दरवाजे की चौखट पर खड़ी हो ,उसका रास्ता ताकने की बजाय खुद के अन्दर भी देख कभी....! तुझमें ही वो इक जज्बा है....,जो देगा मुश्किल हालात से लड़ने की शक्ति अपार...जो ले कर जागा तुझे हर बाधा के पार....
ये अकेलेपन का दु:क्यों ???
इस बोझ के तले मन क्यों दबा हुआ है तेरा ???
तू अकेली कहाँ है....,तेरी हिम्मत हर पल तेरे साथ है बेटी...
जरूरत है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद को पहचानने की....!

संताप-भार
दबा जाता हृदय
निकल पार ।
-0-

18 टिप्‍पणियां:

Sudershan Ratnakar ने कहा…

जिज्ञासा उत्पन्न करता बहुत सुंदर कथ्य में कसावट लिए भावपूर्ण हाइबन पूर्वा जी। हार्दिक बधाई ।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

सकारात्मक सोच लिए बहुत सुंदर हाइबन। हार्दिक बधाई रश्मि जी ।

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही अच्छे हाइबन । पूर्वा जी एवं रश्मि जी को हार्दिक बधाई
💐💐

बेनामी ने कहा…

बेहद शुक्रिया आदरणीय!
सादर प्रणाम!

बेनामी ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया!
सादर प्रणाम!

बेनामी ने कहा…

बेहद सुन्दर हाइबन!
हार्दिक बधाई आपको आदरणीया!
सादर!

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

पूर्वा जी, बहुत मर्मस्पर्शी हाइबन है, बहुत बधाई...|
रश्मि जी, बहुत सुन्दर हाइबन...बहुत बधाई...|

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर दोनों हाइबन... पूर्वा जी तथा रश्मि जी को हार्दिक बधाई।

सदा ने कहा…

बहुत ही शानदार सृजन बहुत बहुत बधाई एवम शुभकामनाएं

Rishabh Shukla ने कहा…

सुन्दर सृजन

Anita Manda ने कहा…

पूर्वा जी अच्छा लगा हाइबन, सच में जिज्ञासा बनी रही। रश्मि जी सुंदर हाइबन, बधाई आप दोनों को

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

डॉ पूर्वा जी और रश्मि जी के सुंदर हाइबन , बधाई ।
शुभकामनाएँ ।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

वाह पूर्वा जी!, बढ़ा ही सुंदर रहस्य बना कर रखा आपने, खूब आनंद आया! आपको बहुत बहुत बधाई!!
रश्मि जी आपका हाइबन भी बढ़िया, आपको भी बधाई!!

Dr. Purva Sharma ने कहा…

रश्मि जी सुंदर हाइबन के लिए बधाइयाँ ।

आप सभी के शब्दों ने ऊर्जा भर दी, आप सभी को हृदयतल से धन्यवाद ।

dr.surangma yadav ने कहा…

वाह!बहुत सुन्दर पूर्वा जी, अंत तक जिज्ञासा बनी रही।
रश्मि विभा जी का बेहद सुन्दर हाइबन । बहुत-बहुत बधाई आप दोनों को।

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत ही बढ़िया हाइबन... पूर्वा जी एवँ रश्मि जी को हार्दिक !!

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

दोनों ही हाइबन लाजवाब! सीधे दिल मे उतर गए!
हार्दिक बधाई पूर्वा जी एवं एवं रश्मि जी!

~सादर
अनिता ललित

बेनामी ने कहा…

मेरे समस्त सम्माननीय रचनाकार मित्रगणों को मेरे लेखन की सराहना और लेखनी का आत्मबल बढ़ाने हेतु की गई सुंदर टिप्पणी का हार्दिक आभार!
सादर!