रविवार, 26 सितंबर 2021

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 माहिया

 रश्मि विभा त्रिपाठी

1


तुमको जबसे देखा

पढ़ना छोड़ चुकी

हाथों की अब रेखा ।

2

मन जब भी हारा है

इकलौता सम्बल

प्रिय नाम पुकारा है ।

3

जीवन भर ना भूलूँ

झूला यादों का

ले संग तुम्हें झूलूँ ।

4

मन- प्राणों पर छाए

पलकें पुलकित हैं

प्रिय-दर्शन जो पाए ।

5

प्रिय ने सींचा धीरज

मन के दरिया की

हर आशा नव नीरज।

6

मैंने प्रिय को पूजा

इष्ट जगत में अब

है कोई ना दूजा ।

7

हाथों को कब देखा

मेरे प्रियतम ने

बदली है हर रेखा ।

8

यह मेरा शुभ गहना

चूनर नेह- जड़ी

ओढ़ाते जब सजना ।

9

दुख सारे माटी हैं

आँचल में प्रिय ने

मुसकानें बाँटी हैं।

10

साँसें जो चलती हैं

तेरी ही यादें

मेरे हिय पलती हैं ।

11

प्रिय ने ही बोए हैं

मैंने आँखों में

जो ख़्वाब सँजोए हैं ।

-0-

13 टिप्‍पणियां:

Sushila Sheel Rana ने कहा…

प्रीति के रंग में रँगे बहुत सुंदर माहिया। बधाई रश्मि जी

Rajesh bharti Haryana ने कहा…

बदली हर रेखा 🙏🙏🙏🌹👍✌️

भीकम सिंह ने कहा…

प्रिय ने ही बोए हैं •• वाह ,बेहतरीन, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बेहतरीन माहिया के लिए बहुत बहुत बधाई रश्मि विभा जी।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया!

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया,हार्दिक बधाई प्रिय रश्मि जी।

dr.surangma yadav ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया, बधाई रश्मि जी।

चिराग: Chirag Patel ने कहा…

अनेक अभिनन्दन! अत्यन्त कोमल स्पर्श से अभिरञ्जित शब्दों कि एकसूत्रता!

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

बढ़िया माहिया का सृजन है रश्मि जी । बधाई।

Krishna ने कहा…

बेहतरीन माहिया के लिए हार्दिक बधाई प्रिय रश्मि।

बेनामी ने कहा…

माहिया प्रकाशन हेतु आदरणीय सम्पादक जी का कोटिश आभार।
मुझे मनोबल देती आप सभी आत्मीयजनों की टिप्पणी का हार्दिक आभार।

सादर 🙏🏻

Vibha Rashmi ने कहा…

प्रेम रंग के बहुत सरस माहिया सृजन । बधाई लें ।
स्नेह - विभा रश्मि

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत मनभावन माहिया, बधाई रश्मि