रविवार, 7 नवंबर 2021

1001-जीवन-गीत

 रश्मि विभा त्रिपाठी



1

प्रिय गंगा- से
निर्मल नेह- धार
दे जीवन- आधार
नतमस्तक
करते बारम्बार
प्राण- मन आभार ।
2
दुआ के दीप
कूल पर प्रज्वल
भाव- नदी निर्मल
श्वासों का सीप
प्रिय से है उज्ज्वल
प्राण- मन विह्वल ।
3
जीवन- गीत
तुम श्वासों की लय
मैं उन्मुक्त, अभय
तुम्हें ही गाऊँ
हे प्रिये! हो तन्मय
वेणु फूँके प्रणय।
4
कोई भी बाधा
निकट न ठहरी
जीवन की नगरी
स्वान्त सुखाय
प्रिय- अधर धरी
प्रार्थना है प्रहरी।
5
औरों के हेतु
तपा दिया जीवन
बाँटी छाया सघन
प्रिय तुम्हारा
करुणामय मन
कोटि- कोटि वन्दन।
6
तुमसे ही है
अधरों पे मुस्कान
मेरा आनन्दगान
तुम्हारा प्रेम
ईश का वरदान
पा प्रफुल्ल हैं प्राण।
7
बाँची सकल
मन की दशा दीन
रहे दुआ में लीन
सुख- सत्ता पे
कर गया आसीन
प्रिय- प्रेम प्रवीण।
8
दुख की नदी
बड़ी दूर किनारा
आ फँसी बीच धारा
देके सहारा
प्रिय मुझे उबारा
तुम्हारा प्रेम न्यारा।
9
कभी जो होऊँ
मैं किंचित उन्मन
तब तुम्हारा मन
कर प्रभु से
प्रेमिल निवेदन
हरे पीड़ा सघन।

-0-


11 टिप्‍पणियां:

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर सेदोका। हार्दिक बधाई

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

वाह,प्रेम के सात्विक एवं उदात्त स्वरूप को चित्रित करते एक से बढ़कर एक सेदोका।हार्दिक बधाई।

दिनेश चंद्र पांडेय ने कहा…

सुंदर उत्कृष्ट रचनाओं के सृजन हेतु बधाई.

नीलाम्बरा.com ने कहा…

सुंदर सृजन। हार्दिक बधाई

dr.surangma yadav ने कहा…

सुंदर सेदोके। हार्दिक बधाई।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर सृजन

Shri Umesh Sharma ji ने कहा…

Very nice seduka written by you Rashmi ji may almighty always bless you and protect you from devil eyes .keep on writing like this bravo

मेरा साहित्य ने कहा…

🙏अति सुन्दर

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर एक से बढ़कर एक सेदोका...हार्दिक बधाई।

बेनामी ने कहा…

आप सभी आत्मीयजनों की टिप्पणी का हृदय तल से आभार।

सेदोका प्रकाशन के लिए आदरणीय सम्पादक जी का हार्दिक आभार।

सादर 🙏🏻

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत भावपूर्ण और सुन्दर सेदोका. बधाई रश्मि विभा जी.