शनिवार, 27 नवंबर 2021

1008

 सविता अग्रवाल 'सवि' कैनेडा 

1

रुद्ध कंठ है

वाणी विलुप्त हुई

रीते मन के कोने

कैदी आखर

तुम बिन प्रीतम

ना ही मुझमें प्राण

2

आ जाओ प्रिय!

तुम बिन- बंजर

सिंचित करो प्राण

नीरस लगे

मुझे सारा संसार

तुम जीवन -प्राण

 

कभी मुझसे

नहीं होना विमुख

बनूँ मैं अनुकूल

प्रेम तुम्हारा

श्वांस बसा रहता

नदिया -सा बहता

4

तुमसे मेरे  

जीवन में संगीत

तुम स्वर आलाप

तुम रागिनी

तानपुरा की तान

मीत! गीत के प्राण

5

तुमसे प्रीत

रक्षित -चिरकाल

तुम! सुख समृद्धि

जीवन प्राण

तुम मेरा आधार

ज्योतिर्मय संसार

6

प्रिय बिन मैं

अधूरी रागिनी- सी

टूटी साज़-आवाज़

बेसुर बजी

राग सब मौन हैं

, भरो! स्वर प्राण

7

साजन तुम

घर का दीपक हो

पुंज प्रकाशवान

भरो उजाला

बाती बन मैं जलूँ

अँगना पुलकित।

8

सजला प्रीत

हृदय सिसकती

वंचित बेजान- सी

स्वप्न बिखरे

सौतन बनी हवा

बुझाती आशा दीप

9

लुप्त सलिल

गुमनाम झरने

मँडराते बादल

छलती वायु

भरे, प्रीत में प्राण  

मिले- प्रिय का प्यार।  

-0-

12 टिप्‍पणियां:

Anima Das ने कहा…

अत्यंत सुन्दर सृजन.... 🌹

बेनामी ने कहा…

प्रेम भाव से सिक्त सुन्दर सेदोका।
हार्दिक बधाई आदरणीया।

सादर 🙏🏻

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

आनिमा जी, रश्मि जी और सुशील कुमार जी आप सब का हृदय तल से आभार।

Krishna ने कहा…

अति सुंदर सेदोका...हार्दिक बधाई सविता जी।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

मनमोहक सेदोका, एक से बढ़कर एक!हार्दिक बधाई सविता जी!

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

कृष्णा जी और प्रिय प्रीति का हार्दिक धन्यवाद। आप सभी की प्रतिक्रिया से मनोबल बढ़ता है।

dr.surangma yadav ने कहा…

अति सुन्दर।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

डॉक्टर सुरंगमा जी अनेक धन्यवाद।

Reet Mukatsari ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन, हार्दिक बधाई।
-परमजीत कौर'रीत'

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

परमजीत जी आपका हृदय से धन्यवाद।

Sushila Sheel Rana ने कहा…

शृंगार के वियोग पक्ष की मार्मिक अभिव्यक्ति !
बहुत ही भावपूर्ण, सुंदर सेदोका। बधाई सवि जी