बुधवार, 3 नवंबर 2021

999-दीप- ज्योति अक्षय

 

सेदोका- रश्मि विभा त्रिपाठी

1


आनन्दमय

अमा है अतिशय

कर तम विलय

लौटे हैं प्रिय

बाल रहा प्रणय

दीप- ज्योति अक्षय।

2

स्पंदन- गीत

गा रही हैं शिराएँ

झूमें अभिलाषाएँ

हिय के द्वार

प्रिय खड़े मुस्काएँ

दीप्त दीपमालाएँ।

3

उत्सवधर्मी

हैं दीप- अवलियाँ

दीप्त घर- गलियाँ

ज्यों धरा पर

लेके तारावलियाँ

लो आ गईं रश्मियाँ।

4

वंदनवार

टाँगें प्रभा- मणियाँ

भू- दुआरे रश्मियाँ

चलो जलाएँ

नेह- फुलझड़ियाँ

दीप्त दीप- लड़ियाँ।

5

शुभागमन

श्रीराम का सत्कार

सृष्टि करती द्वार

दिव्य आरती

अमा रही उतार

आनन्दित अपार ।

6

आकुल न हो

अरि माना उद्दंड

अभिमान प्रचंड

उद्दीप्त रख

आस्था- दीप अखण्ड

तमिस्रा खण्ड- खण्ड।

7

ज्योतिर्मय  है

तुमसे घर- द्वार

मेरा मन- संसार

मेरी झोली में

उड़ेला है अपार

सुख- समृद्धि, प्यार।

8

तुम्हारा स्नेह

चाहे मेरा मुस्काना

सौ- सौ सुख लुटाना

करता पूर्ण

अभीष्ट मनमाना

ज्यों कुबेर- खजाना।

9

नहीं देती मैं

विधि को कोई दोष

कभी न करूँ रोष

तुमने दिया

मुझको परितोष 

भरा मन का कोश।

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6 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

वाह, बहुत सुन्दर सेदोका रचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

दीपों के पर्व,परम्परा और उल्लास के साथ प्रेम के भाव को समेटे सुंदर सेदोका हेतु रश्मि विभा जी को हार्दिक बधाई।

Dr. Purva Sharma ने कहा…

समसामयिक भावपूर्ण सेदोका
सुन्दर सृजन के लिए बधाइयाँ रश्मि जी

बेनामी ने कहा…

मुझे मनोबल देती आदरणीया पूर्वा जी, आदरणीय भीकम सिंह जी एवं शिव जी श्रीवास्तव जी की टिप्पणी का हार्दिक आभार।
बेहद खुशी है कि मेरे सेदोका आपको पसंद आए। मेरा लिखना सार्थक हुआ।

सादर 🙏🏻

Krishna ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन...रश्मि विभा जी हार्दिक बधाई।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

उत्तम सेदोका...रश्मि को बहुत बधाई