गुरुवार, 6 जनवरी 2022

1018-आशाओं की उड़ान

 रश्मि विभा त्रिपाठी

1
ये अँधियारे

प्रिय! छँट जाएँगे

कितना सताएँगे

हम धैर्य के

दीपक जलाएँगे

दीप्ति- गीत गाएँगे।

2

उपयुक्त है

केवल मन- प्रांत

जहाँ मिले एकांत

आरम्भ करें

अनुराग- वृत्तांत

आओ आसन्न कांत।

3

प्रिय ने दिया

अतुल्य पाँख-दान

और प्रतिष्ठा-मान

भर रही हूँ

आशाओं की उड़ान

'छुऊँ मैं आसमान'।

4

किंचितमात्र

गला न पाएँ दाल

वैरी बड़े बेहाल

प्रिय बनके

मेरी श्वासों की ढाल

काटें कुल जंजाल।

5

हरकारा दे

अनुभूति तत्काल

मैं जो होऊँ बेहाल

अलि! आ काटें

प्रिय पीड़ा- जंजाल

दुआ- दीप दें बाल।

6

वहन करे

मेरा जीवन-भार

भूलूँ न उपकार

बड़े भाग से

डूबी, उबरी, पार

प्रीति खेवनहार।

7

प्रवहमान

मन- गंगा प्रेमिल

भाव- वीचि फेनिल

मैं प्रिय संग

डूबी तो गया मिल

अनुराग अखिल।

8

प्रियवर का

प्रार्थना का प्रयोग

लाया है शुभ योग

मैं मुक्त हुई

निरस्त अभियोग

निर्वासित वियोग।

9

कदाचित हो

संकट से सामना

प्रिय निश्चलमना

आलिंगन में

कस पिघला देते

अवसाद ये घना।

10

क्रूरतापूर्ण

करें शर- संधान

कष्ट औ व्यवधान

प्रीति प्राणदा

फूँके मुझमें जान

प्राण- मानस त्रान।

2 टिप्‍पणियां:

Anima Das ने कहा…

समर्पण एवं प्रेम से परिपूर्ण ये समस्त रचनाएँ हृदयोद्गार हैं..... अत्यंत मधुर.... 💐🌹🌹🌹🌹

बेनामी ने कहा…

सेदोका प्रकाशन हेतु आदरणीय सम्पादक जी का हार्दिक आभार।

अपनी सुन्दर टिप्पणी से मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आदरणीया अनिमा जी की आभारी हूँ।

सादर