गुरुवार, 13 जनवरी 2022

1020-कर्मयोगी पिता

 सेदोका- रश्मि विभा त्रिपाठी

1
पिता तुमने
बनके कर्मयोगी
परपीड़ाएँ भोगी
तुम्हारी सुधि
क्या उन्हें आती होगी
वे 'कृतघ्नता- रोगी'
2
तुमने छोड़ा
जबसे मेरा हाथ
विप्लव दिन- रात
झेल रहे हैं
प्रतिपल आघात
प्राण- मन औ गात।
3
बीत गए हैं
कई माह औ साल
कितनी मैं बेहाल
क्यों न आए
पिता की तस्वीर से
प्राय: पूछूँ सवाल।
4
विचर रहे
दूरस्थ दिव्य लोक
देखें जो आते शोक
प्राय: पिता के
अभ्यर्थना के श्लोक
देते दु:ख को रोक।
5
जबसे गए
जीवन- उपवन
नीरव औ निर्जन
किंतु पिता का
मंगलाकांक्षी मन
होने न दे उन्मन।
6
शुभाशीष के
बरसाएँ सुमन
स्वर्ग से हो मगन
प्यारे पिता का
करुणाकारी मन
करे धन्य जीवन।
7
तुम तक क्या
कोई जाती है राह
पूछ रही है आह
तुम्हारे बिन
पिता जग में कैसे
अकेले हो निबाह।
8
तुम सर्वज्ञ
और हो अगोचर
रहे सदा तत्पर
रखते ध्यान
मेरा प्रति पहर
मुझे व्यापे न डर।
9
घड़ी दु:ख की
मुझपर जो बीती
औ जिजीविषा रीती
आशीष-सुधा
पिता उड़ेलें, पीती
पुनि तभी मैं जीती। 

-0-

16 टिप्‍पणियां:

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

माता-पिता की जगह जग में कब, कौन भर सका है भला...! मन को छूते बेहद भावपूर्ण सेदोका! सुंदर सृजन हेतु बधाई रश्मि जी!

~सादर
अनिता ललित

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

पिता की स्मृति में रचे गए भावपूर्ण एवं मार्मिक सेदोका।प्रत्येक सेदोका मन पर छाप छोड़ता है।बधाई रश्मि विभा जी।

दिनेश चंद्र पांडेय ने कहा…

सुंदर सेदोका सृजन हेतु बधाई।

भीकम सिंह ने कहा…

बेहतरीन सेदोका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

Shri Umesh Sharma ji ने कहा…

Very nice and excellent sedooka of rashmi vibha tripathi ji .whatever you write that is always heart touching .God bless you always .you are one of greatest writer of era my warm regards always for you and pranaam to your guruji shree rameshwar Kamboj ji also

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 13 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

http://halchalwith5links.blogspot.in
पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

!

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

अय्यन्त भावपूर्ण सेदोका, बधाई रश्मी जी।

Krishna ने कहा…

बेहतरीन भावपूर्ण सेदोका...बहुत बधाई रश्मि जी।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

अत्यंत भावपूर्ण,मर्मस्पर्शी उत्कृष्ट सेदोका सृजन के लिए हार्दिक बधाई रश्मि जी।

Reet Mukatsari ने कहा…

बहुत भावपूर्ण सृजन,,, हार्दिक बधाई।-
---परमजीत कौर'रीत'

रेणु ने कहा…

पिता पर आँखें नम करने वाली रचना, सभी बंध भावपूर्ण और मार्मिक। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको।

बेनामी ने कहा…

सेदोका प्रकाशन के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आप सभी आत्मीयजनों की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।

सादर 🙏🏻

dr.surangma yadav ने कहा…

पिता पर अत्यंत भावपूर्ण सेदोका।बहुत-बहुत बधाई रश्मि जी।

Manisha Goswami ने कहा…

भावनाओं से ओतप्रोत बहुत ही उम्दा सृजन

Sweta sinha ने कहा…

सेदोका अत्यंत प्रभावशाली हैं।
बधाई सुंदर और भावपूर्ण सृजन के लिए।
सादर।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

मर्मस्पर्शी सेदोका के लिए बहुत बधाई