सोमवार, 9 मई 2022

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 1-भीकम सिंह 

1

वर्षा की घड़ी 

प्रेम के छाते खुले 

तंग-सी गली 

सोते-जागते मेघ 

मचा हड़बड़ी ।

2

प्रेम की नाव

बाँह फैली नदी में 

खोई -सी चली 

हवा दे हिचकोले

डग-मग-सी डोले 

3

दिल में जब

किसी की चाहना की

उमड़ी बात

तो आँखों में गुजरी 

बैचैन सारी-रात 

4

स्नेह से आँखें

भावों का सम्बल ले

जब मुस्काती

बेजान-सी पलकें 

आँसू, रोक ना पातीं

5

 सजनी द्वार 

पगध्वनि से खोले 

बिना दुराव 

रोम -रोम गा उठे

मुस्काएँ  मूक भाव 

6

रखा था प्रेम 

झोले में सहेजके 

थोड़ा शब्दों में 

कभी ना खोल पाए 

कभी ना बोल पाए 

 -0-

 2-कृष्णा वर्मा

1

गुदगुदाएँ 

तुम्हारे अहसास

नदी में नहा 

छुए गीले हाथों से  

जैसे चंचल हवा। 

2

ख़्वाब तुम्हारे 

पसरे पलकों पे

आँखों को गिला 

बातूनी तन्हाई ने 

हमें सोने ना दिया। 

3

मुँदे नयन 

आन छुएँ तुम्हारे 

सलोने स्वप्न  

धड़के पलकों का

नर्म नाज़ुक दिल। 

4

मंद हवा- सा 

छुआ तन तुमने 

हर्षित रोम 

उद्वेलित हो मन 

बीजे प्रेम के बीज।

5

प्रेम के धागे 

होते बड़े नाज़ुक 

प्रत्येक मोती 

अपनी ख़्वाहिशों का 

गूँथना सलीके से।  

6

दूज के चाँद 

हुए तुम प्रीतम 

तरसें नैन 

आ मिलूँ उड़के

पाऊँ कहाँ से पंख। 

7

कई दिनों से 

हुआ नहीं मिलना 

रूठे हो पिया 

या बदला ठिकाना 

बेकल फिरे जिया।

8

प्रेम में डूबा 

मिली न कोई राह 

चुप्पी का शोर 

आँसू का समुंदर 

बची सम्पदा।

 9

उर निकट 

रखी सहेजकर

प्रेम की पाती 

बुनें सुषुप्त नैना 

सपने सौ हज़ार। 

10

काट लूँगा मैं 

अकेले जीवन का 

तन्हा सफ़र 

साथ मिले जो तेरा 

खिले मरु बहार। 

11

बाँध लो ऐसे 

बंधन मुझे प्रिय 

जन्मों न दूजा 

फिर कोई बंधन 

मुझको बाँध पाए। 

12

उलझें शब्द 

नि:शब्द हों नयन 

पढ़ लें मौन 

रहे साथ हमारा 

ऐसी उमर तक। 

13

मन में जोग 

प्रेम कर तुमसे

लगाया रोग

पलकों को अश्कों से 

हुआ गहरा प्रेम।  

14

थके हैं नैन

तेरी बाट निहार 

तड़पे जिया

बिछुड़ी निमाणी ज्यों 

कोई कूंज- कतार। 

-0-

16 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत ताँका रचने के लिए कृष्णा वर्मा जी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
मेरे ताँका प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद और आभार ।

भीकम सिंह ने कहा…

Sonneteer Anima Das ने कहा…

अत्यंत सुंदर.. भावपूर्ण... अर्थपूर्ण सृजन 🌹🌹🌹🌹आप दोनों प्रबुद्ध रचनाकारों को बधाई 💐💐💐💐🙏🙏🙏

Anita Manda ने कहा…

प्रकृति का मोहक रूप भीकम सिंह जी के तांको में देखने को मिला। बधाई।
कृष्णा प्रेम के विविध रंगों को दर्शाते सुंदर ताँका पढ़ने को दिए आपने। धन्यवाद। बधाई।

dr.surangma yadav ने कहा…

भीकम सिंह जी व कृष्णा वर्मा जी के प्रेम पगे ताँका बहुत सुंदर।बधाई रचनाकार द्वय को।

बेनामी ने कहा…

अति उत्तम भीखम सिंह जी ।

बेनामी ने कहा…

विभय कुमार

बेनामी ने कहा…

प्रेम से अनुरंजित अनुपम ताँका।

आदरणीय भीकम सिंह जी एवं कृष्णा दीदी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ 🌷💐

सादर

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

प्रेम में कहे से अधिक अनकहे का महत्त्व होता है।प्रीत की भाषा अपने को अनेक विधि अभिव्यक्त करती है,डॉ. भीकम सिंह जी एवं कृष्ण वर्मा के प्रेम-पगे ताँका इसी कही-अनकही भाषा के भावपूर्ण ताँका हैं,हर ताँका विशद अर्थ का व्यंजक है।दोनो को बधाई।

बेनामी ने कहा…

भीकम सिंह जी एवं कृष्णा वर्मा जी के प्रेम पगे ताँका अत्यंत मनमोहक हैं। आप दोनों को हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर ट

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

अति सुंदर जुगलबंदी, दोनों रचनाकारों को हार्दिक धन्यवाद!

Krishna ने कहा…

बेहतरीन ताँका सृजन...भीकम सिंह जी को बहुत बधाई।
मेरे ताँका को स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।

भीकम सिंह ने कहा…

टिप्पणी करने के लिए सभी विद्वानों का हार्दिक आभार ।

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

अच्छे बिम्ब एवं प्रतीकों से सजे उत्तम ताँका के लिए आप दोनों ताँकाकार को बधाई ।
शुभकामनाएँ

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर-भावपूर्ण ताँका
एक से बढ़कर एक

भीकम जी एवं कृष्णा जी को हार्दिक बधाई

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

प्रेम के कितनी भाव एक साथ. वाह! सभी बहुत सुन्दर और भावपूर्ण। भीकम जी एवं कृष्णा जी को बधाई।