शुक्रवार, 20 मई 2022

1037-गुलमोहर-प्रेम

 1-गुलमोहर

भीकम सिंह 

1

फोटो-रश्मि शर्मा -राँची

धूप पहनें
 

गुलमोहर हुआ

दोपहर यूँ 

मेघों का इन्तजार 

जैसे कर रही लू ।


2

गुलमोहर 

तुम्हारे सामने था 

खुश इतना 

आग वाली ॠतु में 

माघ-पौष जितना 

3

धूल ही धूल 

गुलमोहर तक

ये ना सोचा था 

प्रेम के नाम पर

सुन्दर-सा धोखा था 

4

ताल के पास 

तलुओं तक घास

गुलमोहर 

मेरे अन्दर तक 

भरता था विश्वास 

5

गुलमोहर 

रंगे अप्सरा ने ज्यों 

लाल नाखून 

हरे वस्त्रों में इत्र

ढूँढती विश्वामित्र 

6

आँधी में आते 

गुलमोहर तले 

सभी तिनके 

जो भी तुमने फेंके

दाँतों-तले दबाके 

7

गुलमोहर 

शाखें यूँ लाल- हरी

सिगनल दे

ज्यों चौराहे पे खड़ी

सुन्दर-सी लड़की 

8

भरे कानों में 

कुछ सुनाई ना दे

प्रेम गहरा 

आँखों को वही दिखे 

गुलमोहर हरा 

9

छोटी जगह

गुलमोहर बड़ा

जो था वजह

वहाँ दौड़ के जाते 

मुलाकात छिपाते 

10

आज ही मिला 

सूना गुलमोहर 

पुरवाई को

झरे फूलों से गिला 

करके ही आई वो 

-0-

2- प्रेम

कपिल कुमार

1

तुम्हारा स्पर्श

प्रभात की किरण

छू रही ओस

मोती सा खिल उठा

मेरा वियोगी मन। 

2

उदास चाँद


चाँदनी ढूँढती
, ले

प्रेम दर्पण

पूर्णिमा की रजनी

हृदय समर्पण। 

3

अधूरे पन्ने

हृदय -अभिलाषा

प्रेम-संदेश

लिखें साथ बैठके 

चाँदनी उजास में।

4

जीवन- गति

तेरे चारों तरफ

भू की तरह

प्रेम को लालायित

ज्यों हो चाँद-चाँदनी। 

5

चाँद के नीचे

अप्रतिहत मन

स्नेह जिज्ञासा

व्याकुल हो खोजता

अपरिमित प्रेम। 

6

अर्थ ना ढूँढो

चाँदनी सा उज्ज्वल

चुप सा रहा

व्यक्त कैसे करता

शब्दातीत प्रेम। 

7

निर्वाक्  है प्रेम

धरा चाँद व्याकुल

दूर से देखें

नजदीक ज्यों आते

प्रेम में डूब जाते। 

8

तुमसे माँगी

आँसू भरी आँखों से

प्रेम की भीख

मौन थी अस्वीकृति

अब तो बनी स्मृति। 

9

प्रेम की प्यासी

प्यारे मेरी उदासी

छोड़के सब

ओढ़ के दोनों नभ

करे असीम बातें। 

10

अब सुनाओ

अपने होंठो से, वो

प्रेम-कविता

सुनने को उतरा

नदी में सुधाकर।

11

उदास साँझ

तालाब के किनारे

बैठी व्याकुल

हृदय पीड़ा कहे

प्रेम-वियोग सहे। 

12

प्रेम झड़प

आगे से असंबद्ध

दोनों सड़क

फ़िर दूर जा मिली

मन ही मन खिली। 

 -0-( गुलमोहर फोटो-रश्मि शर्माःसाभार)

20 टिप्‍पणियां:

सहज साहित्य ने कहा…

डॉ.भीकम सिंह जी और कपिल कुमार के ताँका बहुत हृदयस्पर्शी हैं म

भीकम सिंह ने कहा…

मेरे ताँका प्रकाशित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद सर, बेहतरीन ताँका रचने के लिए कपिल कुमार जी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।

भीकम सिंह ने कहा…

गुलमोहर का खूबसूरत फोटो भेजने के लिए रश्मि शर्मा जी का आभार ।

Vibha Rashmi ने कहा…

भीकम सिंह जी के ताँका बहुत शानदार हैं । कपिल कुमार जी के ताँका बहुत सुन्दर ।दोनों को हार्दिक बधाई।

Vibha Rashmi ने कहा…

गुलमोहर की प्यारी फ़ोटो के लिये रश्मि शर्मा जी को बधाई ।

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

वाह,गुलमोहर के अनेक रंगों के सुंदर ताँका हेतु भीकम सिंह जी को बधाई।कपिल कुमार के प्रेम विषयक ताँका भी सुंदर हैं।बधाई कपिल जी।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२१-०५-२०२२ ) को
'मेंहदी की बाड़'(चर्चा अंक-४४३७)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

बेनामी ने कहा…

सुंदर सृजन है दोनो रचनाकारों को बधाई।

Sonneteer Anima Das ने कहा…

अत्यंत सुंदर हृदयस्पर्शी सृजन..... 🙏 आप दोनों को हार्दिक बधाई 🌹🙏💐

Gurjar Kapil Bainsla ने कहा…

आप सभी का अपनी टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद

Jyoti khare ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर मनमोहक सृजन...आप दोनों को हार्दिक बधाई।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत बढ़िया तांका हैं सभी, बहुत बधाई आप दोनों को

Anita Manda ने कहा…

आग वाली ॠतु में
माघ-पौष जितना ।

गुलमोहर को कितने सुंदर उपमा, उपमेय दिए हैं, अद्भुत।

Anita Manda ने कहा…

मौन थी अस्वीकृति
अब तो बनी स्मृति
प्रेम, चाँदनी और उदासी का सुंदर समन्वय ।कपिल जी को बहुत बधाई।

भीकम सिंह ने कहा…

आप लोगों की टिप्पणी पढकर मन प्रसन्न हो गया, आप सभी का हार्दिक आभार ।

बेनामी ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत ताँका । दोनो रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।…..सविता अग्रवाल “सवि”

बेनामी ने कहा…

लाजवाब कपिल जी,
धूल ही धूल

गुलमोहर तक

ये ना सोचा था

प्रेम के नाम पर

सुन्दर-सा धोखा था ।
इतना सुंदर कैसे लिख देते हो।

Gurjar Kapil Bainsla ने कहा…

महोदय इतना सुंदर ताँका भीकम जी का है।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सभी ताँका बहुत सुन्दर! आदरणीय भीकम जी एवं कपिल जी को हार्दिक बधाई!

~सादर
अनिता ललित