शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

1085-गाँव

भीकम सिंह 

 गाँव- 12

 

हल खेत से 

वह जब भी छूता

उत्पादन के 

प्रतिमान गढ़ता

बैंक का कर्ज

पर नहीं पटता 

खेतों का थोड़ा 

क्षेत्रफल घटता 

पेट की ओर

शरीर झुक जाता 

फिर भी बच जाता 

 

गाँव- 13

 

अब क्या करें 

वो फसलें पुरानी 

गाँव जिनकी 

हरिताभ छाया में 

देखता सूर्य 

होता हुआ नूरानी 

शोध-गर्भ से 

ज्यों बौनी किस्में आई

सिर पे सूर्य 

करता ताता-थाई

कोने में पड़ी झाई 

 

गाँव-14

 

ईख झूमती 

नये कल्ले उगते 

आशीष देने 

खाद -पानी चलते

सुधा से भरे 

तब गन्ने पलते 

हवा चलती 

हरी-सूखी पत्ती से 

गन्ने-गन्ने के 

माँसल-से अंगों का

आलिंगन करते 

 

गाँव  - 15

 

ऊँची मीनारें 

गाँव थम-थम के 

देखें नज़ारे 

तम भरी रात में 

वारे के न्यारे 

शांत नभ में कोई 

ज्यों फेंके तारे 

बार-बार मन में 

लड्डू-सा फूटे 

खामोशी से देखती 

कच्ची- पक्की दीवारें 

 

गाँव  - 16

 


गाँवों में साँझ

देर तक उतरी 

खाँस-खूँसती

खेतों में ही पसरी 

अलसा-सी

कनखियों से देखे 

बँधती हुई

सूरज की गठरी 

फुनगियों पे

जो कोने मोड़ रही

टँगी हुई है वहीं 

-0-

गाँव  - 17

 

गाँव का जिस्म 

अँधेरा हो जाता है 

शाम के आते 

चमके शहर का 

दीया जलाते 

कई राह खुलती 

भोर के आते 

सिलसिला मिलता 

गाँवों को कहाँ 

वो तो रोना चाहते 

पर रो नहीं पाते।

-0-

11 टिप्‍पणियां:

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

सभी चोका उत्कृष्ट, अभिनव बिंबों के प्रयोग में डॉ. भीकम सिंह जी सिद्धहस्त हैं।बधाई डॉ.भीकम सिंह जी।

नंदा पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही सुंदर -सुंदर चोका।
अंतिम वाला चोका बहुत ही बढ़िया है🙏

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुंदर चोका।
हार्दिक बधाई आदरणीय भीकम सिंह जी को।

सादर

बेनामी ने कहा…

गाँव का सटीक विश्लेषण करते बहुत सुंदर चोका। हार्दिक बधाई भीकम सिंह जी। सुदर्शन रत्नाकर

Vibha Rashmi ने कहा…

भीकम सिंह जी सिद्धहस्त कवि हैं ।गाँव के प्राकृतिक दृश्यावली के चित्रण के सभी चोका बेमिसाल हैं । अनोखे बिम्बों की सर्जना हुई है
हार्दिक बधाई ।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

गाँव की पृष्ठभूमि पर आधारित बहुत ही सुंदर चोका!

~सादर
अनिता ललित

भीकम सिंह ने कहा…

मेरे चोका प्रकाशित करने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक धन्यवाद और आप सभी का हार्दिक आभार ।

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

चौका विधा में भी भीकम सिंह जी ने ग्रामीण जीवन को बखूबी उतारा है-बधाई।
आपकी रचनाएँ आपका परिचय देती हैं। यह हम सबके लिए गौरव की बात है।

नव पंकज ने कहा…

बहुत सुंदर

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

आप अप्रतिम बिम्बों का प्रयोग करते हैं, धन्यवाद आदरणीय।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत उम्दा, बहुत बधाई