रविवार, 29 जनवरी 2023

1103

 

1-चोका


-कृष्णा वर्मा

1

होती तमाम

उमर की मियाद

कुछ दिलों की

कसक नगरी में

भादों सूखे ना

सावन हरियाए

टूटा मन ना

गढ़ता प्रेमगीत

खोजे प्रेम ना

हो पाता प्रेममय

टूटा मन तो

ढूँढता है साथी का

विस्तृत वक्ष

हौले से सिर रख

हलका करे मन।

2

तुम जो गए

रूठ गया सावन

ना भादों हरा

अड़े खड़े मेघा ना

बरसी बूँदें

भीग पाया तन ना

हुलसा मन

ना रूप ना सिंगार

चुप पैंजन

ना खनकी चूड़ियाँ

हिना बेरंग

आहों के फेरों संग

नैना कोरों पर

करते रहे बस

अश्रु नर्तन

मन के हिंडोले पर

यादें बैठाके

विरहा के गीतों ने

पींगे झुलाईं

सतरंगी सपने

धुले अवसाद में।

3

सदियों से थे

मन के पट बंद

तुमने आके

जगा दिए सपन

सुलझा दिया

मेरा उलझा मन

जगाके भाव

सूरज रश्मियों से

मिटाया तम

खोल दिए हैं बंध

तटबंध पर

खुल गईं साँकलें

मन के द्वार

हौले-हौले मिटने

लगे हैं सारे द्वंद।

4

वक़्त ने भले

किए कई सितम

मन डोला ना

लड़खड़ाए पांव

न चाहा कांधा

न कोई हमदर्दी

धैर्य से सदा

बाँधे रखा बंधन

स्वयं की स्वयं

बनी सदा सम्बल

रिश्ते नाते तो

होते अमरबेल

स्वयं को हरा

रखने की ख़ातिर

सुखा देते हैं

दूसरों का जीवन

कैसी है परम्परा।

5

कवि कमाल

बाहों में भर लेता

सारा संसार

शब्दों की धार संग

चले धरा पर

ले अटल विश्वास

निरीक्षण का

आँजकर काजल

पढ़े जहान

बोले बिना ज़ुबान

चाँद की भाँति

विचरता अकेला

सूर्य ताप-सा

दहकाए स्व: ज़ात

कोमल हिय

उफनता सिंधु-सा

ज्वार औ भाटा

जंगल की आग-सा

बनाए राह

कवि के मन की न

होती है कोई थाह।

-0-

2-ताँका

-सुरभि डागर 

 




1

शीत ऋतु ने 

जब ली अँगड़ाई 

कलियाँ हँसीं

नरम मुलायम

कोंपल मुस्कराई ।

2

बैठ  मुँडेर

गौरैया राग गा

प्रकृति ओढ़ 

रंगीन चुनरिया

खेतों में लहराए।

3

फाल्गुन उड़े

अंबर में गुलाल

करो धमाल

उड़ा रहे अबीर

यशोमती के लाल।

4

मधुवन में

खेल‌ होली माधव

गोपियों संग 

बोली इतराती- सी 

राधा नैनों से बोली ।

5

पिचकारी ना

खेलूँगी रंग खूब

लगा गुलाल

मधुर अधरों से

कान्ह बंशी बजाओ।

6

भी झूमे

कूक उठे कोयल

दरा घिरे

छनक उठे मुई

कान्हा मोरी पायल

7

गाएँ अधर

रागिनी -राग उठे

देवालय में

दीप जले राही को 

अमृत- पान मिले।

 

17 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कृष्णा जी के अति भावपूर्ण चोंका और सुरभि जीं के सुंदर तांक़ा ने प्रभावित किया । दोनो रचयिता को बधाई। सविता अग्रवाल “सवि” कैनेडा

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

कृष्णा जी के सभी चोका सुंदर, सुरभि जी की रचनाएँ भी भावपूर्ण, आप दोनों को हार्दिक बधाई!

Krishna ने कहा…

फाल्गुन के बहुत सुंदर ताँका...बहुत बधाई सुरभि जी।

आदरणीय भाईसाहब, त्रिवेणी में स्थान देने के लिए हार्दिक आभार!

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत चोका और ताँका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

आपका हार्दिक आभार 🙏

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

आपका हार्दिक आभार 🙏💐

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

आपने चोका बहुत सुन्दर लिखा है ।
आपका हार्दिक आभार 🙏💐

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

आपका हार्दिक आभार ।

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

कृष्णा जी के चोका में प्रौढ़ता तथा सुरभि जी के ताँका में संभावनाएँ स्पष्ट दिखायी दे रहे हैं।
बधाई।

www.nilambara.shailputri.in ने कहा…

हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ।
बहुत ही सुंदर सृजन।

WordPress.com / Gravatar.com credentials can be used.

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन के लिए हार्दिक बधाई कृष्णा वर्मा जी।
बहुत सुंदर ताँका। हार्दिक बधाई सुदर्शन रत्नाकर

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

आपका हार्दिक आभार 🙏

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

आपका हार्दिक आभार 🙏

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

आभार आपका ।

dr.surangma yadav ने कहा…

सुंदर सृजन।सुरभि जी,कृष्णा जी बहुत-बहुत बधाई।

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन।
हार्दिक बधाई आदरणीया कृष्णा दीदी एवं सुरभि जी को💐🌹

सादर

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

आदरणीया कृष्णा दीदी के चोका एक से बढ़कर एक! लाजवाब!
सुरभि जी के ताँका भी बहुत सुंदर!

~सादर
अनिता ललित