मंगलवार, 31 जनवरी 2023

1105-आई ऋतु नवल

 

डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री

 


कली बुराँस

अब नहीं उदास

आया वसंत

ठिठुरन का अंत

मन मगन

हिय है मधुवन

सुने रतियाँ

पिय की ही बतियाँ

मधु घोलती


कानों में बोलती

प्रेम-आलाप

सुखद पदचाप

स्फीत नयन

तन -मन अगन

अमिय पान

चपल है मुस्कान

ये दिव्यनाद

नयनों का संवाद

अधर धरे

उन्मुक्त केश वरे


तप्त कपोल

उदीप्त द्वार खोल

हुई विह्वल

इठलाती चंचल

आई ऋतु नवल।

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16 टिप्‍पणियां:

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

वाह! अति सुंदर चोका, आनन्द आ गया। ढेरों शुभकामनाएँ कविता जी।

Anita Manda ने कहा…

बहुत सुंदर

बेनामी ने कहा…

बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण चोका।
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीया दीदी 🌹💐🌷

सादर

surbhidagar001@gmail.com ने कहा…

बहुत ही सुन्दर चोका।
हार्दिक बधाई आपको ।

Dr. Sushma Gupta ने कहा…

बहुत सुंदर

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन.. हार्दिक बधाई

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सुंदर चोका!

~सादर
अनिता ललित

बेनामी ने कहा…

अति सुन्दर। हार्दिक बधाई कविता जी। सुदर्शन रत्नाकर

भीकम सिंह ने कहा…

खूबसूरत चोका ,हार्दिक शुभकामनाएँ ।

शशि पाधा ने कहा…

बहुत भावपूर्ण चोका । प्रकृति का मनोरम रूप शब्दों में ढाला है आपने । बधाई ।

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

वाह,वसंत की मोहकता से परिपूर्ण मनभावन चोका।बधाई डॉ. कविता जी।

shiam tripathi ने कहा…

कविता की सारी रचनाएं बहुत प्रिय लगीं जैसे बंगाली रसगुल्ले |चित्र भी बहुत ही सुंदर हैं |श्याम हिन्दी चेतना

www.nilambara.shailputri.in ने कहा…

हार्दिक आभार मित्रो

Krishna ने कहा…

बहुत मनमोहक चोका...हार्दिक बधाई।

सहज साहित्य ने कहा…

बहुत दिनों बाद चोका रचा। बहुत रससिक्त और प्रकृति के निर्मल सौंदर्य से स्नात। आशा करते हैं कि त्रिवेणी पर फिर से शीघ्र आगमन होगा आपका!!

बेनामी ने कहा…

अति सुन्दर सृजन आदरणीय बहन जी 💐🙏💐🙏💐