सोमवार, 23 जनवरी 2023

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रश्मि विभा त्रिपाठी 


जरूरत पे

जो काम नहीं आए 

बाद में भरे

दामन में सितारे

या चाँद लाए 

वक़्त बीतने पर

किसे लुभाए 

कोई माल- ओ- ज़र

जो रात भर

चिरागों की जगह

जी को जलाए 

तो पहले पहर

भले आकर

कोई लाख टिकाए

हथेली पर 

जुनून का जुगनू

आस का तारा

जब टूट ही जाए 

दिल का दिया 

कैसे टिमटिमाए 

आँखों के आगे

हर ओर अँधेरा 

अगर छाए 

क्या करूँ मैं अब कि 

कोने में खड़ा

कलेजे का टुकड़ा

मायूस होके

हाथ बिल्कुल खाली

मेरे बच्चे के

खिलौनों के बगैर

मुझ- सी माँ का

मन भला दीवाली

आज कैसे मनाए।

2 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत चोका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

भावपूर्ण चोका! मन को छू गया!

~सस्नेह
अनिता ललित