tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post261756087273134717..comments2024-03-29T02:11:17.472+11:00Comments on त्रिवेणी: वो मोहक मुस्कान (सेदोका )Unknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-40929839461050629142012-09-23T14:54:33.458+10:002012-09-23T14:54:33.458+10:00DR urmila agrawalaur Dr Bhawna Kunwar kw sabhi swd...DR urmila agrawalaur Dr Bhawna Kunwar kw sabhi swdoka bahut prabhavashali hain.Dr. Sudha Guptahttps://www.blogger.com/profile/09474697418856290233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-28775407685157522842012-09-20T00:29:52.586+10:002012-09-20T00:29:52.586+10:00अनुभूति के विविध रंग लिए बहुत ही सुंदर सेदोका । दो...अनुभूति के विविध रंग लिए बहुत ही सुंदर सेदोका । दोनों ही कवयित्रियों को उत्तम सृजन के लिए हार्दिक बधाई !sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-52855073137697042102012-09-19T12:34:54.055+10:002012-09-19T12:34:54.055+10:00बहुत सुंदर भावनाओं से परिपूर्ण प्रस्तुति है ....
...बहुत सुंदर भावनाओं से परिपूर्ण प्रस्तुति है ....<br /><br />धूप-सी खिली<br />अँधेरों को चीरती<br />वो मोहक मुस्कान<br />हर ले गई<br />गमों के पहाड़ को<br />मिला जीवन -दान ।....तथा...<br /><br />तुमने स्त्री को<br />देवी बना तो दिया<br />पर समझे नहीं<br />स्त्री को इन्सां से<br />प्रतिमा जीवित से<br />निर्जीव बना दिया ।.....बहुत प्रभावी...बधाई आपको <br /><br />ज्योत्स्ना शर्माnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-10681311456485803352012-09-19T00:58:58.076+10:002012-09-19T00:58:58.076+10:00सदा ही ओढ़ी
अँधेरे की चादर
पहचान ने मेरी
मेरे अपने...सदा ही ओढ़ी<br />अँधेरे की चादर<br />पहचान ने मेरी<br />मेरे अपने<br />बन गए दुश्मन<br />चमकी पहचान।<br /><br />चंद सतरें<br />किताबों को पढ़के <br />पढ़ाते हें बच्चों को<br />न खुद जानें<br />न बच्चों को बताएँ<br />मायने जि़न्दगी के ।<br />सच को बड़ी खूबसूरती से उकेरा। आप दोनों को शुभकामनाएं।<br />कृष्णा वर्माAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-40349956561712483822012-09-18T19:51:39.446+10:002012-09-18T19:51:39.446+10:00सदा ही ओढ़ी
अँधेरे की चादर
पहचान ने मेरी
मेरे अपने...सदा ही ओढ़ी<br />अँधेरे की चादर<br />पहचान ने मेरी<br />मेरे अपने<br />बन गए दुश्मन<br />चमकी पहचान।<br />बहुत सुंदर भाव हैं<br /><br />तुमने स्त्री को<br />देवी बना तो दिया<br />पर समझे नहीं<br />स्त्री को इन्सां से<br />प्रतिमा जीवित से<br />निर्जीव बना दिया ।<br />सच को बड़ी सुन्दरता से लिखा है आपने <br />सभी सैदोका बहुत सुंदर हैं.<br />बधाई,<br />सादर,<br />अमिता कौंडल <br />amita kaundalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-73251254358620455622012-09-18T18:52:38.287+10:002012-09-18T18:52:38.287+10:00बहुत सहजता से मन की इस पीड़ा को अभिव्यक्त किया है ...बहुत सहजता से मन की इस पीड़ा को अभिव्यक्त किया है जिसे कभी न कभी हर कोई महसूस करता है, शायद दुनिया की रीत है ये...<br />नहीं किसी ने<br />थामा मेरा दामन<br />साथ देने के लिए<br />समझा सदा<br />मंज़िल पा लेने का<br />आसान रास्ता मुझे। <br /><br />हर स्त्री के मन की बात जो कचोटती है...<br />तुमने स्त्री को<br />देवी बना तो दिया<br />पर समझे नहीं<br />स्त्री को इन्सां से<br />प्रतिमा जीवित से<br />निर्जीव बना दिया ।<br /><br />आप दोनों को बहुत शुभकामनाएँ.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-31600475740982817312012-09-18T05:29:38.303+10:002012-09-18T05:29:38.303+10:00नहीं किसी ने
थामा मेरा दामन
साथ देने के लिए
समझा स...नहीं किसी ने<br />थामा मेरा दामन<br />साथ देने के लिए<br />समझा सदा<br />मंज़िल पा लेने का<br />आसान रास्ता मुझे। <br />bahut hi sunder kaha jeevan me aesa hi hota hai<br /> तुमने स्त्री को<br />देवी बना तो दिया<br />पर समझे नहीं<br />स्त्री को इन्सां से<br />प्रतिमा जीवित से<br />निर्जीव बना दिया ।<br />yahi hai ...........aurat ki kahani <br />aap dono ko bahut bahut badhai<br />Rachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-25598417568004212212012-09-17T16:26:50.892+10:002012-09-17T16:26:50.892+10:00सारे सेदोका मन को भाए, पर ये दो सेदोका कुछ ज्यादा ...सारे सेदोका मन को भाए, पर ये दो सेदोका कुछ ज्यादा ही पसन्द आए...।<br />सदा रही मैं<br />भावनाओं से भरी<br />आज पाहन बनी<br />बनाते गए<br />अपनों के कटाक्ष<br />मुझे ऊँचा पहाड़ ।<br /><br />चला गया तू<br />रोजी रोटी के लिए<br />घर–बार छोड़ के<br />सोच न पाती<br />उन्नति पर हँसू<br />या वियोग में रोऊँ ।<br /><br />आप दोनो को बधाई...।<br /><br />प्रियंकाप्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.com