tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post2707761444409705477..comments2024-03-29T02:11:17.472+11:00Comments on त्रिवेणी: 727Unknownnoreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-63233151736923171292016-09-16T14:10:41.807+10:002016-09-16T14:10:41.807+10:00आप तो शब्दों की जादूगर हैं हरदीप जी...कितनी खूबसूर...आप तो शब्दों की जादूगर हैं हरदीप जी...कितनी खूबसूरती और सहजता से आप भावनाओं का सम्प्रेषण कर जाती हैं, यह काबिले-तारीफ़ है...|<br />बहुत प्यारा हाइबन...हार्दिक बधाई...|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-3243248386127810132016-09-04T20:04:02.143+10:002016-09-04T20:04:02.143+10:00AtractiveAtractiveAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11051582666585324083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-67597677203955828132016-09-02T23:21:46.777+10:002016-09-02T23:21:46.777+10:00A message via e-mail:
टिप्पणी चाय का कप पर
प्राक...A message via e-mail:<br /><br />टिप्पणी चाय का कप पर<br /><br />प्राकृतिक दृष्यों को ही चित्रित करने में नहीं मन की गाथा कहने में भी हरदीप जी माहिर हैं । चाय के कप को माध्यम बना कर इस हाइबन में विमुग्धकारी ढंग से मन की गाथा कही गई है । यह दर्शाया गया है कि मन उसी ओर आकर्षित होता है जो आप्राप्य हो । कालेज के दिनों का नायिका का सहपाठी सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ था अपनी अमीरी और खुलेपन के कारण । लेकिन नायिका उससे अप्राभावित रहीं उसके पीछे एक बड़ा कारण था उसका मरद जात से विश्वास का उठ जाना । दूसरा वह संस्कारी लड़की थी । जीवन सीधा सपाट तो चलता नहीं कभी कभी जीवन में आने वाले गर्म हवाओं के झौंकों से बचाने वाली ढाल की आवश्यकता भी पड़ती है । यही कारण था जो नायक और नायिक आमने सामने बैठे थे । चाय का कप था मन की बात कहने सुनने के लिये एक माध्यम । यहाँ कह सकते हैं एक मध्यस्त यानी बिचौला रिश्ते जोड़ने का काम करने वाला । बिचौला पूरी कोशिश करता है कि जो रिश्ता वह जोड़ने चला है वह बन जाये । यहाँ चाय के कप ने जी जान लगा दी अपनी भूमिका निभाने में । नायिका के मन की अस्थिरता ने चाय गिरा कर । दूसरी ओर नायिक के अन्तर की छबि मन की कोमलता को सामने लाकर । नायिका के हाथ को जलने से बचाकर अपना हाथ आगे करके । इस एक पल ने दोनों के मन में जो विचार द्वन्द चल रहा था समाप्त कर दिया । रूह से रूह के तार जुड़ गये ।इस अप्रयातिश मन मिलन ने जीवन में स्वर्ण प्रभात दिखा दिया ।और नायक को अप्राप्य सुलभ करा दिया जिसकी उसे आशा नहीं थी ।<br />अपनी अद्भुत भाषा शैली ने रचना को और सुन्दर बना दिया ।<br />वाह हरदीप जी तुसीं तां ग्रेट हो । हाइबन मन विमुग्ध कर गया । बधाई बनती है ना ?<br /><br /><br /><br />Kamla Ghataauraਸਫ਼ਰ ਸਾਂਝ https://www.blogger.com/profile/00175907955598447897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-64342079035248471722016-09-02T17:46:52.761+10:002016-09-02T17:46:52.761+10:00 हरदीप जी बहुत सुंदर सृजन !!! सच्चे रिश्ते की गह... हरदीप जी बहुत सुंदर सृजन !!! सच्चे रिश्ते की गहराई को सकरात्मक भाव के साथ प्रस्तुत करता हाइबन !<br />.आत्मा को छू गया ......हार्दिक बधाई बहन हरदीप जी !!!Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-22297972824467788532016-09-01T18:33:27.853+10:002016-09-01T18:33:27.853+10:00बेहद ख़ूबसूरत .....रौशनी की एक किरण पकड़ाता हाइबन !
...बेहद ख़ूबसूरत .....रौशनी की एक किरण पकड़ाता हाइबन !<br /><br />बहन हरदीप जी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए !!<br /><br />सादर <br />ज्योत्स्ना शर्मा ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-6134457811448595162016-09-01T02:28:38.342+10:002016-09-01T02:28:38.342+10:00जीवन का हर मोड़ रास्ते की पहचान कराता है, खुशहाल औ...जीवन का हर मोड़ रास्ते की पहचान कराता है, खुशहाल और मौज़परस्त अमीरी के आगोश में पला वो जो अपने इर्द -गिर्द नाचने वाले लड़के-लडकियों से घिरा अपनी अहमियत जानते हुए सबका अपनी-अपनी जगह फ़ायदा उठाता रहा और उस किसी को तलाशता रहा जिसमें वह तेवर,वह तुनकमिजाजी हो और साथ ही हो अपने लक्ष्य को जानने-समझने की शक्ति ,क्योंकि जीवन ऐसा खिलौना तो नहीं जिसे खेल कर एक कोने में लुढ़कने के लिए छोड़ दिया जाय|१.पहली बात तोउसमें यह लगी कि ऊपर से जैसा भी दिखने वाले को स्वयं एक सुविचारों,सुसंस्कारों और दृढ़ इच्छाशक्ति वाली जीवन साथी की तलाश थी जो उसके जीवन और मन को भटकने से रोक सके|२.समुद्र ऊपर से कितना अल्हड़-मनमौजी लगता है,किन्तु अन्तस्तल से शांत, मूँगों-मोती की निधियाँ छिपाये रहता है उन निधियों को पाने के लिए अनुकूल हवा,अनुकूल परिस्थिति का होना भी आवश्यक है, सरस संवेदनाएँ हर हृदय में होती हैं,हम अहं वश उनकी आवाज़ नहीं सुनते और जब सुनते हैं तो एक तरल प्रवाह मन-मस्तिष्क पर छा जाता है वही तरलता दो छोरों को जोड़ने में सहायक हुई लगती है|सुंदर हाइबन हेतु बहन संधु जी को हार्दिक बधाई| <br /> पुष्पा मेहरा <br />rbmhttps://www.blogger.com/profile/10299724344262939136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-29865530844297345172016-09-01T01:33:08.420+10:002016-09-01T01:33:08.420+10:00आदरणीय हरदीप जी बहुत ही सुंदर लिखा आत्मा को छू गया...आदरणीय हरदीप जी बहुत ही सुंदर लिखा आत्मा को छू गया ..हृदयस्पर्शी भावपूर्ण चित्रण .बहुत सुंदर सुनीता काम्बोजhttps://www.blogger.com/profile/03287350410187694457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-61982621130430704142016-08-31T21:43:21.496+10:002016-08-31T21:43:21.496+10:00Anand ke sagar mein piglate do dilon ki daastaan.....Anand ke sagar mein piglate do dilon ki daastaan...behad aakarshak A Cup Of Tea....Superb<br /><br />Dr. Hardeep ji....Har baar Naye Andaaj Mein.....Dr.Purnima Raihttps://www.blogger.com/profile/01017846358964709625noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-37969312112579681442016-08-31T21:21:04.168+10:002016-08-31T21:21:04.168+10:00बहुत सुंदर! अतीत व वर्तमान का सुंदर भावपूर्ण चित्र...बहुत सुंदर! अतीत व वर्तमान का सुंदर भावपूर्ण चित्रण! साथ ही मानव मन के अहसासों का ताना-बाना!<br />बहु-बहुत बधाई !हरदीप बहन आपको।Preranahttps://www.blogger.com/profile/14893137736025753912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-10339192283943298182016-08-31T17:54:06.159+10:002016-08-31T17:54:06.159+10:00Sundar ...badhai..Sundar ...badhai..Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-16230372514781096632016-08-31T17:30:42.663+10:002016-08-31T17:30:42.663+10:00बहुत सुंदर प्रस्तुति हरदीपजी। बधाईबहुत सुंदर प्रस्तुति हरदीपजी। बधाईSudershan Ratnakarhttps://www.blogger.com/profile/04520376156997893785noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-3702176704069766942016-08-31T16:36:10.597+10:002016-08-31T16:36:10.597+10:00वाह! मन-धडकन के तारों को झंकृत करता हुआ हाइबन! सच ...वाह! मन-धडकन के तारों को झंकृत करता हुआ हाइबन! सच में! कई बार जो दिखता है, वो होता नहीं और जो सच में होता है, वह यूँ ही अचानक से सामने आ जाता है |<br />हार्दिक बधाई बहन हरदीप जी इस सुंदर सृजन के लिए !!!<br /><br />सादर <br />अनिता ललित Anita Lalit (अनिता ललित ) https://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.com