tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post5405079176482524413..comments2024-03-28T22:26:54.145+11:00Comments on त्रिवेणी: 730Unknownnoreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-53581585987159632352016-10-07T02:00:08.111+11:002016-10-07T02:00:08.111+11:00कश्मीरी लाल,ज्योत्सना प्रदीप ,ज्योत्सना शर्मा जी आ...कश्मीरी लाल,ज्योत्सना प्रदीप ,ज्योत्सना शर्मा जी आप सब का भी धन्यबाद हाइबन पढ़कर भाव व्यक्त करने के लिये ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05248473740018889298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-53256461722445198792016-09-27T17:28:35.288+10:002016-09-27T17:28:35.288+10:00बहुत सुन्दर हाइबन ! आपने तो दृश्य ही साकार कर दिया...बहुत सुन्दर हाइबन ! आपने तो दृश्य ही साकार कर दिया आदरणीया !!<br />हार्दिक बधाई स्वीकारें !!<br /><br />सादर <br />ज्योत्स्ना शर्मा ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-12974740051098756782016-09-16T12:48:13.170+10:002016-09-16T12:48:13.170+10:00बेहद भावपूर्ण !!!
"अब कहाँ मिलेगें ऐसे लोग ... बेहद भावपूर्ण !!! <br />"अब कहाँ मिलेगें ऐसे लोग मोह प्यार वाले। गाँव के सब लोगों को एक परिवार समझने वाले ,मिल जुल कर रहनें वाले ! कहाँ गये वे दिन सुहाने ? " <br />सही कहा आपनें कमला जी....इस मर्मस्पर्शी सृजन के लिए ढेर सारी बधाई !!!Jyotsana pradeephttps://www.blogger.com/profile/02700386369706722313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-20479839460893432952016-09-15T19:24:46.214+10:002016-09-15T19:24:46.214+10:00BetterBetterAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/11051582666585324083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-87776408264590035502016-09-12T16:34:00.513+10:002016-09-12T16:34:00.513+10:00सबसे पहले मैं सम्पादक द्वय का धन्यबाद करना चाहूँगी...सबसे पहले मैं सम्पादक द्वय का धन्यबाद करना चाहूँगी ।जिन्होंने मेरी रचना को त्रिवेणी में स्थान दिया । प्रियंका जी आप का भी आभार व्यक्त करती हूँ कि आप ने रचना को पढ़कर अपने विचार रखे ।<br />अब मैं यह हाइबन पढ़ने वालो को कुछ और भी बताना चाहूँगी कि हर कार्य के पीछे कोई न कोई कारण होता है यह लगभग साढेचार दसक पुरानी बात मैं लिख नहीं पाती अगर कुछ दिन पहले मेरी किसी से यूं बात न होती ।... मैं शॉपिंग को जा रही थी एक बहन शॉपिंग करके आ रही थी । धीरे धीरे घुटनों की तकलीफ के कारण ।मैनें सहज स्वाभाव पूछ लिया ,'आप ठीक हैं बहन ?' बोली,इंग्लैंड की गिफ्ट है ।ऐसे ही चलता है ।'मैंने भी हाँमी भरी ,'सब का यहाँ यही हाल है ।' बोली एक आपने बात की आज सुबह से अब दोपहर तक ।मैं तो वापस चली जाऊँगी । कहती वह आगे बढ गई ।तब मुझे खबरी ताई याद आई और हाइबन लिखा गया । यहाँ बच्चे अपने माता पिता को विदेशों में बुला तो लेते हैं लेकिन वे उन्हें अपना समय नहीं दे पाते न दो घड़ी बैठ कर बात कर पाते हैं । वे परिवार में रह कर भी अकेलापन महसूस करते हैं ।एक वह युग था कि पराये भी अपनों की तरह रहते बतियाते थे ।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05248473740018889298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-83734467949797242222016-09-12T14:32:55.710+10:002016-09-12T14:32:55.710+10:00बहुत मर्मस्पर्शी हाइबन है आपका कमला जी...| सच में,...बहुत मर्मस्पर्शी हाइबन है आपका कमला जी...| सच में, पहले की तरह पूरे गाँव...पुरे मोहल्ले को अपना ही परिवार मानने वाले लोग अब कहाँ मिलेंगे...? ऐसी यादों के लिए बस मन में यही आता है...जाने कहाँ गए वो दिन...|<br />इतने अच्छे, मन को छू लेने वाले हाइबन के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें...|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.com