tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post6140748312767576339..comments2024-03-29T02:11:17.472+11:00Comments on त्रिवेणी: नारी की आभाUnknownnoreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-26377025847014534572012-03-29T17:26:49.066+11:002012-03-29T17:26:49.066+11:00तहे दिल से आभार !तहे दिल से आभार !Dr Saraswati Mathurnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-6673188739809106042012-03-29T17:25:58.827+11:002012-03-29T17:25:58.827+11:00तहे दिल से आभार !तहे दिल से आभार !Dr Saraswati Mathurnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-34899494296179292762012-03-26T20:36:29.256+11:002012-03-26T20:36:29.256+11:00बहुत सुन्दर और मोहक भाव...
सुबह सूर्य
धूप भरी नद...बहुत सुन्दर और मोहक भाव...<br /><br />सुबह सूर्य <br />धूप भरी नदी में <br />तैरता रहा <br />साँझ जब वो रुका <br />सागर लाल हुआ ।<br /><br />शुभकामनाएँ.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-86998088762221999352012-03-13T00:34:17.605+11:002012-03-13T00:34:17.605+11:00नारी की आभा
सृष्टि के सूर्य- सी है
उजास लाती
च...नारी की आभा<br /> सृष्टि के सूर्य- सी है<br /> उजास लाती<br /> चिड़िया-सी उड़ती <br /> पंख फैला नभ में ।<br />nari ki abha aesi hi hai aapki soch ati uttam hai <br />badhai<br />rachanaRachanahttps://www.blogger.com/profile/15249225250149760362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-36375680330732138042012-03-12T08:41:33.656+11:002012-03-12T08:41:33.656+11:00सुबह सूर्य
धूप भरी नदी में
तैरता रहा
साँझ जब वो...सुबह सूर्य <br />धूप भरी नदी में <br />तैरता रहा <br />साँझ जब वो रुका <br />सागर लाल हुआ ।<br /><br />Bahut sundar prakrti varanan kiya hai is taankaa men...bahut2 badhai...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-21322519552985871492012-03-10T20:42:50.343+11:002012-03-10T20:42:50.343+11:00मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हिन्दी हाइकु की तर...मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि हिन्दी हाइकु की तरह त्रिवेणी भी नई और सशक्त प्रतिभाओं को सामने ला रहा है । डॉ सरस्वती माथुर के रस से पगे ताँका पहली बार पढ़े , लेकिन ऐसा लगा कि किसी सिद्धहस्त रचनाकार का सर्जन है; नए का नहीं । प्रत्येक ताँका अपने मधुर सुर में मुखरित है हार्दिक बधाई , साथ ही सम्पादक द्वय को भी ।satishrajpushkaranahttps://www.blogger.com/profile/05918330944070496404noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-88153588489198661202012-03-10T18:03:59.827+11:002012-03-10T18:03:59.827+11:00नारी की आभा
सृष्टि केसूर्य- सी है
उजास लाती
चिड़ि...नारी की आभा<br />सृष्टि केसूर्य- सी है <br />उजास लाती<br />चिड़िया-सी उड़ती<br />पंख फैला नभ में।<br /><br />bahut sunder...sabhi taanka achche hain...badhai!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-54142331361792834492012-03-10T03:07:18.753+11:002012-03-10T03:07:18.753+11:00सुबह सूर्य
धूप भरी नदी में
तैरता रहा
साँझ जब वो...सुबह सूर्य <br />धूप भरी नदी में <br />तैरता रहा <br />साँझ जब वो रुका <br />सागर लाल हुआ ।<br />बहुत ही सुन्दर तॉंका प्रकृति की खूबसूरती ओर खूब बनाता । <br />डा सरस्वती जी को बधाई।सीमा स्मृतिhttps://www.blogger.com/profile/09265585405906262267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-50451408189904277502012-03-10T01:49:05.065+11:002012-03-10T01:49:05.065+11:00सुबह सूर्य
धूप भरी नदी में
तैरता रहा
साँझ जब वो...सुबह सूर्य <br />धूप भरी नदी में <br />तैरता रहा <br />साँझ जब वो रुका <br />सागर लाल हुआ <br /><br /><br /><br />नारी की आभा<br /> सृष्टि केसूर्य- सी है <br />उजास लाती<br /> चिड़िया-सी उड़ती<br />पंख फैला नभ में।<br /><br /><br /><br /><br /><br />बहुत सुंदर तांका हैं .हार्दिक बधाई.<br /><br />सादर,<br /><br />अमिता कौंडलअमिता कौंडलnoreply@blogger.com