tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post8052781846830506251..comments2024-03-29T02:11:17.472+11:00Comments on त्रिवेणी: अदृश्य पीड़ा Unknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-74569932860164603482015-06-14T20:36:50.008+10:002015-06-14T20:36:50.008+10:00बहुत मर्मस्पर्शी...| हरदीप जी...आपके इस हाइबन ने म...बहुत मर्मस्पर्शी...| हरदीप जी...आपके इस हाइबन ने मेरी स्मृतियों के तार झंकृत कर दिए...| हर वह स्त्री जो इस सर्जनात्मक स्थिति से गुज़र चुकी है और इन पलों में उसे अपनी माँ का सानिध्य मिला है, वह इसमें अपनी झलक अवश्य देखेगी | माँ ही शायद दुनिया की पहली वह इंसान होती है हरेक के जीवन में, जो अपनी संतान के मुस्कराते चेहरे से भी दर्द का सच जान ही लेती है...अनकहा हो तब भी...|<br /><br />बहुत सुन्दर लिखती हैं आप...| हर बार...बार बार आपकी लेखनी मुग्ध कर जाती है...|<br />मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ...यूं ही खूबसूरती से रचने के लिए...|प्रियंका गुप्ता https://www.blogger.com/profile/10273874634914180450noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-49553174179744365982015-06-10T20:24:15.689+10:002015-06-10T20:24:15.689+10:00बहुत भावपूर्ण ..मर्मस्पर्शी हाइबन ! सच है माँ ..बं...बहुत भावपूर्ण ..मर्मस्पर्शी हाइबन ! सच है माँ ..बंद आँखों से भी ..कोसों दूर से भी संतान के कष्ट को जान लेती है ..फिर ..स्वयं अनुभूत पीड़ा को झेलती बेटी की पीड़ा कैसे न समझ आती ...अनुपम अभिव्यक्ति ! <br />साधुवाद ....बहुत शुभ कामनाएँ !!<br /><br />सादर <br />ज्योत्स्ना शर्मा ज्योति-कलशhttps://www.blogger.com/profile/05458544963035421633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-45746899059665765502015-06-09T03:38:20.909+10:002015-06-09T03:38:20.909+10:00हरदीप जी , बेटी की व्याकुल व्यथा माँ से अधिक कोई न...हरदीप जी , बेटी की व्याकुल व्यथा माँ से अधिक कोई नहीं जानता , क्योंकि माँ उस असह्य पीड़ा को पीकर ही बेटी को इस दुनिया में लाई है। बेटी की पीड़ा माँ को किस कदर विचलित करती है, यह पाठक माँ के हर संवाद से महसूस करता है । हाइबन के क्षेत्र में संवेदनात्मक साहित्य की यह उपस्थिति भारत के हिन्दी साहित्य की आने वाले समय में उपलब्धि बनने वाली है। बहन सन्धु जी हमें आपकी लेखनी पर फ़क्र है। इसी रौ में लिखती रहिए।<br />-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'सहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-57147044390484198782015-06-09T03:06:02.211+10:002015-06-09T03:06:02.211+10:00bahan bahut hi sunder likha hai ma se jyda koi nah...bahan bahut hi sunder likha hai ma se jyda koi nahi samajh sakta aur dekho bahan ek stri hi samajh sakti hai bahan bahut sunderlikha hai<br />badhai<br />Rachanaमेरा साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09177331730604295287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-27662362488865173772015-06-08T21:30:42.677+10:002015-06-08T21:30:42.677+10:00औरत की पीङ औरत ही जान सकती है । बधाई!औरत की पीङ औरत ही जान सकती है । बधाई!kashmiri lal chawlahttps://www.blogger.com/profile/14456170154834289056noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-68441546144327734452015-06-08T07:23:40.597+10:002015-06-08T07:23:40.597+10:00बहुत सुन्दर तरीके से प्रसव पीड़ा का वर्णन किया है ह...बहुत सुन्दर तरीके से प्रसव पीड़ा का वर्णन किया है हार्दिक बधाई |<br />सविता अग्रवाल"सवि"सविता अग्रवाल 'सवि'https://www.blogger.com/profile/18325250763724822338noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-38885155274135688762015-06-08T01:03:30.819+10:002015-06-08T01:03:30.819+10:00उसी माँ ने ही उस प्रवस पीड़ा को इस बच्ची के लि...उसी माँ ने ही उस प्रवस पीड़ा को इस बच्ची के लिए जीया है। मॉं ही बच्चों के कहे अनकहे दर्द को इस प्रकार समझ सकती है। फिर एक स्त्री से ज्यादा इस दर्द को कौन समझ सकता है। आप के हाइबन में हमेशा<br />ऐसे विष्ाय होते हैं जो मन को छू जाते हैं। बहुत सुन्दर और भावपूर्ण एहसास ।सीमा स्मृतिhttps://www.blogger.com/profile/09265585405906262267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7467012346932675254.post-27507700724788239912015-06-07T19:05:28.859+10:002015-06-07T19:05:28.859+10:00Poignancy of mother's love wonderfully describ...Poignancy of mother's love wonderfully described! Very beautiful haiban, Dr. Sandhu! Felicitations!!Amit Agarwalhttps://www.blogger.com/profile/13979122044199890176noreply@blogger.com