1-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
रिश्ते प्यार के
चाहा था फूलें- फलें
सँवरें रहें
क्या जानूँ कैसे हुए
अमर बेल बनें
2
चुनती रही
काँटे सदा राह से
और वे रहे
इतने बेफिकर
मेरी आहों से कैसे
!
3
अरी पवन !
ली खुशबू उधार
कली -फूल से
ज़रा कर तो प्यार
न कर ऐसे वार !
4
मंज़ूर मुझे
मेरे काँधे बनते
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची
मिटा मेरा आशियाँ |
-0-
2-सुनीता अग्रवाल
1
1
मीठा बोलता
कोकिल मन मोहे
मन का काला
कर्कश काक भला
मन ममता- भरा ।
कोकिल मन मोहे
मन का काला
कर्कश काक भला
मन ममता- भरा ।
-0-
हरदीप दीदी एवं कम्बोज भैया जी को हार्दिक आभार ..
जवाब देंहटाएंज्योत्स्ना जी सुन्दर टांका सभी ..विशेष कर
मंज़ूर मुझे
मेरे काँधे बनते
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची
मिटा मेरा आशियाँ |
jyotsana ji apake dono tanka bahut achhe likhe hain. badhai.
जवाब देंहटाएंpushpa mehra.
हृदय से आभार आ पुष्पा मेहरा जी |
हटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सुन्दर प्रस्तुति sunita जी ...शुभ कामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
हार्दिक आभार :)
हटाएंमनभावन तांका के लिए हार्दिक बधाई...|
जवाब देंहटाएंप्रियंका
बहुत आभार प्रियंका जी |
जवाब देंहटाएंसादर
ज्योत्स्ना शर्मा