गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

787


  विभा रश्मि 

सोन  चिरैया 
चुग्गा चोंच - दबाए
उड़ी थी फुर्र  
बसेरे का सपना 
नीड़ अपना 
चूज़े भरें आनंद 
पंख फैलाएँ
तपिश -आलोडन
महके मन
चिरैया डाल -डाल
है इठलाए
तिनके भरे चोंच
बनी  श्रमिक 
कलरव नवल
वसंत हर पल ।
-0-

ललना प्यारी
घुटरुन खिसके
मोह ले हिया 
मनोहारी  मुद्राएँ 
वश में मैया 
विस्मृत दिनचर्या
लेती बलैयाँ 
पकड़ भई खड़ी
साड़ी का पल्लू 
गिरे जब  विलापे 
अंक में छिपी
ललना किलकारी 
मैया दुनिया सारी । 

-0-

10 टिप्‍पणियां:

  1. विभा जी के दोनों चोका ने मन मोह लिया |हार्दिक बधाई स्वीकारें |

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया विभा दीदी मनभावन चोका.. हार्दिक बधाई दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर , कोमल भावभरे बहुत सुन्दर चोका ...हार्दिक बधाई दीदी !

    जवाब देंहटाएं
  4. Happy New year, This new year become published author in just 30 days, send request :http://www.bookbazooka.com/

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय सविता ,सुनीता , ज्योत्स्ना जी का रचना को समय देने के लिये आभार । आ. संपादक द्वय को दिली शुक्रिया मेरे चोका रचना को स्थान प्रदान करने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय सविता जी,सुनीता ,ज्योत्स्ना जी बहुत आभार आपका चोका पसंद करने का । संपादक द्वय का तहेदिल से शुक्रिया मेरे चोका को स्थान प्रदान किया ।

    जवाब देंहटाएं
  7. मनमोहक रचना!आद.विभा जी को हार्दिक बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  8. काश्मीरी लाल जी व ज्योत्स्ना प्रदीप जी मेरा चोका पसंद करने के लिये आपका आभार ।

    जवाब देंहटाएं