मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

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  1-सुदर्शन रत्नाकर

 भय

     भय, यानी डर।इसे तो देखा जा सकता है, ही छुआ जा सकता है। यह एक भावना है  और इसे बस प्रेम की तरह अनुभव किया जा सकता है।प्रेम किसी अच्छी वस्तु, व्यक्ति अथवा विचार के प्रति होता है लेकिन भय हमेशा बुरी वस्तु, व्यक्ति, भावना के कारण जन्म लेता है।भय वास्तव है कुछ नहीं है मन का वहम है यह, क्योंकि एक व्यक्ति को अंधेरे से भय लगता है लेकिन दूसरे को नहीं। शायद उसे अंधेरे में आनन्द आता होगा तभी वह ड़रता नहीं। किसी को ऊँचाई से डर लगता है, किसी को पानी से ,किसी को हवाईजहाज़ की यात्रा में भय लगता है। अकेले रहने में, भीड़ के साथ चलने में। जीवन में कुछ खो देने का डर, परीक्षा में असफलता का डर, प्रेम में बिछुड़ने का डर, मृत्यु का डर । बस डर - डर ,भय।हमारे अंतर्मन में पनपती एक भावना जो सदैव हमें क्षीण बनाती है, कुछ नया करने  का मार्ग अवरुद्ध करती है और हम इच्छा रहते हुए भी कुछ नहीं कर पाते और फिर यही भय हमें अवसाद के गर्त में धकेल देता है। जहाँ से तनाव उत्पन्न होता है, जो हमारे तन-मन का विनाश करता है। यह एक ऐसी परिधि है, जिसके भीतर हम घूमते तो रहते हैं ; लेकिन बाहर निकलने की बात नहीं सोचते। बात मन की और सोच की है । इस मन को अपनी इच्छाशक्ति से पकड़ना है, सुदृढ़ बनाना है, सोच को बदलना है अर्थात् भावनाओं को नियन्त्रित करना है, जो हमें भय की ओर धकेलती हैं और हमारे सर्वनाश का कारण बनती हैं। कबूतर की तरह बिल्ली से बचने के लिए नादानी में आँखें बंद कर लेने से भय तो नहीं रहेगा परन्तु प्राण अवश्य चले जाएँगे।

 मन का भय

बाधक है बनता

रास्ता रोकता।

-0-

2-रश्मि विभा त्रिपाठी 

1

व्यथित मन 

व्यर्थ सारे जतन 

दुख- पीड़ा सघन 

प्रिय तुम्हारा 

आशा- गीत- गुंजन 

अहो ! अभिनन्दन ।

2

बसे हुए वे

भले दूर नगर 

रखते हैं खबर

मेरी आँखों में 

पीड़ा जो अँखुआई 

उन्हें नींद न आई ।

3

सर्वविदित

शौर्य अपरिमित

भीतर ही निहित

अवलंबन 

फिर किसके हित

'मन' तू अविजित ।

4

मुक्तामणि- सा

उज्ज्वल आशा- रत्न

प्रिय का एक यत्न

दुख- द्रावण 

जीतूँ जीवन- रण 

ले विजय का प्रण ।

5

उर उचाट

उनको ही पुकारूँ

जब- जब भी हारूँ 

प्राणप्रिय को

किस विधि बिसारूँ 

श्वास- संग उच्चारूँ । 

6

अन्तर्मन में

शौर्य अपरिमेय

मैं जो अपराजेय

एकल श्रेय

तुम्हारी मधु- वाणी

सदा शुभ कल्याणी ।

7

नहीं अपेक्षा

कोई बने सम्बल 

एकाकी हूँ सबल 

संग प्रिये का

आशीष अविरल

'हो जय अविचल'

8

नेह निर्मल

दे आशाएँ नवल 

जीवन कल- बल

दिव्य दीपिका

करे सदा प्रज्वल

मन- गेह उज्ज्वल।

9

प्रेम- रंजित

भाव- गुंजा पुष्पित

खुश्बू अपरिमित

प्रिय माली- से

करें सदा सिंचित

मन- प्राण हर्षित।

10

प्राण मुदित

प्रेम अपरिमित

मन में मुकुलित 

भाव ब्रह्म- सा

प्रिय को हो विदित

हूँ सुखी या व्यथित।

-0-

19 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरत हैं ,हाइबन और सेदोका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  3. भय के विविध पक्षों को विवेचित करके मन के भय को प्रभावी बतलाता हुए सुंदर हाइबन हेतु आदरणीय सुदर्शन रत्नाकर जी को बधाई।
    प्रेम के कोमल उदात्त भाव और अटूट विश्वास को रेखांकित करते हुए सुंदर सेदोका हेतु रश्मि विभा त्रिपाठी जी को हार्दिक बधाई।

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  4. Very nice seduka u wrote heart touching lines real goddess Saraswati maa is in your pen.And always I pray for your success .God bless you always our little angel

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  5. Very nice sedoka you wrote miss Rashmi vibha Tripathi ji .I read this 3times and willing to read again and again .God is always with you your hardwork is commendable.may you always succeed always my dear little sister.sky is the limit for you

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  6. प्रेम में पगे उत्कृष्ट सेदोका। हार्दिक बधाई रश्मि जी।

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  7. बहुत सुंदर हाइबन। उत्कृष्ट सेदोका।बहुत-बहुत बधाई सुंदर सृजन हेतु।

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  8. अति सुन्दर, उत्कृष्ट हाइबन।
    हार्दिक बधाई आदरणीया दीदी जी को।

    सादर 🙏🏻

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  9. मेरे सेदोका प्रकाशित करने हेतु सम्पादक जी का हार्दिक आभार।
    आप सभी आत्मीयजनों की सुन्दर टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ कि मेरे सेदोका आपको पसंद आए ।

    सादर

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  10. ख़ूबसूरत हाइबन और सेदोका हैं । आप दोनो को बधाई।

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  11. भय पर विजय पाना आवश्यक, विचारणीय हाइबन। आदरणीया सुदर्शन दी को प्रणाम और धन्यवाद!
    रश्मि जी के सेदोका बहुत सुंदर!

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  12. उत्कृष्ट हाइबन और सेदोका...रश्मि जी, आ. सुदर्शन दी आप दोनो को हार्दिक बधाई।

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  13. बहुत सुंदर हाइबन और सदोका। आप दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं-परमजीत कौर रीत

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  14. मेरा हाइबन पसंद करने और टिप्पणी देने के लिए आप सबका हृदय तल से आभार।

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  15. बहुत सार्थक हाइबन है, आदरणीय सुदर्शन जी को बहुत बधाई |
    रश्मि जी के सेदोका बहुत उत्तम है, बधाई

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  16. बहुत ही उम्दा हाइबन ...सुदर्शन जी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।

    रश्मि जी सभावपूर्ण सेदोका के लिए बधाइयाँ

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  17. सुदर्शन दी ने बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक विषय पर सार्थक और बहुत ही प्रभावी हायबन रचा है। बधाई दी 💐

    रश्मि विभा जी आपके भाव जितने सुंदर हैं अभिव्यक्ति उतनी ही मोहक -

    मेरी आँखों में
    पीड़ा जो अँखुआई
    उन्हें नींद न आई ।

    वाह वाह ! ख़ूब बधाई

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