गुरुवार, 11 नवंबर 2021

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 1-परमजीत कौर 'रीत'

1-माहिया 


1

खुश्बू का हरकारा

कहता बगिया में-

फिर आना दोबारा' ।

2

सुख-दुख का बनजारा

'साँझ'-सुबह गाता

संदेशा इकतारा

3

हर इक 'याद तुम्हारी

माँ तेरी बातें

सब बातों पर भारी

-0-

2-ताँका

1

हालात चाक

च्चे मन का घड़ा 

भीगे नयन

'धूप का इंतज़ा'

दोनों ही कर रहे

2

घना कोहरा

दिखती नहीं दिशा

दुःख की सर्दी

'धूप का इंतज़ा'

करे मन- विहग

3

बीतते सर्दी

'धूप का इंतजार'

करता कौन

बने छाँह के साथी

क़्त-वक़्त की बात

-0-

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर माहिया और तांँका।

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  2. माहिया और ताँका दोनों ही बहुत सुन्दर...हार्दिक बधाई।

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  3. बहुत ही सुन्दर, सरस माहिया व ताँका।
    हार्दिक बधाई आदरणीया।

    सादर 🙏🏻

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  4. सुंदर माहिया व तांका रचनाओं के सृजन के लिये बधाई.

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  5. बेहतरीन माहिया एवं ताँका के लिए परमजीत कौर'रीत'जी को बधाई।

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  6. अच्छी रचनाएँ-बधाई।
    ये पंक्तियाँ सुंदर लगीं-
    दुःख की सर्दी

    'धूप का इंतज़ार'....

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  7. आप सभी की अमूल्य टिप्पणियों का हार्दिक आभार।

    मेरी रचनाओं को त्रिवेणी में स्थान देने के लिए संपादक मंडल का हार्दिक आभार।-परमजीत कौर'रीत'

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  8. सुंदर सृजन
    धूप का इंतज़ार ... बहुत बढ़िया प्रयोग
    हार्दिक शुभकामनाएँ

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  9. सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई।

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  10. बहुत ही सुंदर माहिया। बधाई

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