1-परमजीत कौर 'रीत'
1-माहिया
1
खुश्बू का हरकारा
कहता बगिया में-
‘फिर आना दोबारा' ।
2
सुख-दुख का बनजारा
'साँझ'-सुबह गाता
संदेशा इकतारा ।
3
हर इक
'याद तुम्हारी'
माँ तेरी बातें
सब बातों पर भारी ।
-0-
2-ताँका
1
हालात चाक
कच्चे
मन का घड़ा
भीगे नयन
'धूप का इंतज़ार'
दोनों ही कर रहे।
2
घना कोहरा
दिखती नहीं दिशा
दुःख की सर्दी
'धूप का इंतज़ार'
करे मन- विहग।
3
बीतते सर्दी
'धूप का इंतजार'
करता कौन
बने छाँह के साथी
वक़्त-वक़्त की बात।
-0-
बहुत सुन्दर माहिया और तांँका।
जवाब देंहटाएंमाहिया और ताँका दोनों ही बहुत सुन्दर...हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, सरस माहिया व ताँका।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई आदरणीया।
सादर 🙏🏻
सुंदर माहिया व तांका रचनाओं के सृजन के लिये बधाई.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन माहिया एवं ताँका के लिए परमजीत कौर'रीत'जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएँ-बधाई।
जवाब देंहटाएंये पंक्तियाँ सुंदर लगीं-
दुःख की सर्दी
'धूप का इंतज़ार'....
आप सभी की अमूल्य टिप्पणियों का हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंमेरी रचनाओं को त्रिवेणी में स्थान देने के लिए संपादक मंडल का हार्दिक आभार।-परमजीत कौर'रीत'
सुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंधूप का इंतज़ार ... बहुत बढ़िया प्रयोग
हार्दिक शुभकामनाएँ
Badhai Reet
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर माहिया। बधाई
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर सृजन | बधाई |
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