शनिवार, 5 नवंबर 2011

जाने कहाँ खो गई !प्यारी गौरैया


जाने कहाँ खो गई !प्यारी गौरैया (चोका)
डॉ सुधा गुप्ता

छाया:रोहित काम्बोज
आँगन आती
बच्चों की थी लाडली
चीं-चीं गौरैया
घर-घर में जाती
बाजरा खाती
पानी पी उड़ जाती
फुर्र गौरैया
फुदकती तार पे
शोख़ गौरैया
हर घर की शोभा
नन्हीं गौरैया
बाल-कथा- नायिका
रही गौरैया
ये भला कब हुआ
कैसे क्यों हुआ
जाने कहाँ खो गई !
प्यारी गौरैया
छज्जे और आँगन
मुँडेर सूनी
ग़ायब है गौरैया
पेड़ जो कटे
उजड़े आशियाने
द:खी गौरैया
खोये मोखे-झरोखे
बने न नीड़
बड़ी डरी सहमी
रोती गौरैया
रे मानव ! बेवफ़ा !
छीने हैं घर
ख़तरे में गौरैया
कैसे बचेगी
कभी सोचा भी तूने
निष्ठुर मन
तू बड़ा बेरहम
सुन पाहन !
लुप्त होगी गौरैया
शुभांगी वो गौरैया
-0-



12 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर भावो से सजी इस कविता के लिए बधाई विनोद बब्बर rashtrakinkar@gmail.com

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  2. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  3. लुप्त होती गौरैया को लेकर अच्छी भावाभिव्यक्ति है.

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  4. इससे सुंदर चोका और क्या हो सकता है. सीधे ह्रदय में उतर गया.

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  5. सुधा जी का चोका पढकर बचपन याद आ गया ...जब छोटे थे तो आँगन में चिड़िया के लिए दाने डालते थे | चीं चीं चिड़िया हमारी ही तरह फुदकती ..... हमने तो उसके लिए गत्ते का झूला भी बनाया था ...और बरामदे की छत्त से लटका दिया था.....
    और जब दादी से कहानी सुनते .....तो हर रात ....कोई न कोई कहानी ...एक थी चिड़िया से शुरू होती ......लेकिन अफ़सोस ......अब कहानियों में भी चिड़िया नहीं मिलती , जिसका कारण सुधा जी ने बाखूबी ब्याँ किया है ....अपने इस चोका में |
    सुधा जी की कलम को शत-शत नमन !
    हरदीप

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  6. बहुत सुंदर भावाव्यक्ति बधाई .............

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  7. gorya par likha choka man men sama gaya ...bahut najdiik se mahsus kiya har ghatna ko bahut2 badhai..

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  8. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने ! बधाई!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  9. सुधा जी बहुत सुंदर चौका है चिड़ियों का चमन तो सच में उजड़ रहा है वन गॉंव बन गए और गॉंव शहर अब चिड़ियाँ कहाँ जाएँ.
    सुंदर चौका के लिए बधाई.
    सादर,
    अमिता कौंडल

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  10. हृदय को छू गया ....बहुत सुंदर चोका ...सुधा जी ...!!

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