गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

झिलमिलाता कल

शशि पुरवार
1
आए अकेले
दुनिया के झमेले
जाना है पार
जिंदगी की किताब
नई है हर बार ।
2
ढलती उम्र
शिथिल है पथिक
अकेलापन
जूझता है जीवन
स्वयं के कर्म संग ।
3
पैसे का नशा
मस्तक पे है चढ़ा
सोई चेतना
नजर का है धोखा
वक्त जब बदला ।
4
यादों के पल
झिलमिलाता कल
महकते  हैं
दिलों के अरमान 
उठते हैं तूफ़ान ।
5
तेज रफ़्तार
दूर है संगी -साथी
न परिवार
जूनून है सवार
मृगतृष्णा जागती ।
6
बालियों संग
मचलता यौवन
ठिठकता -सा
प्राकृतिक सौन्दर्य
लहलहाते खेत ।
-0-

17 टिप्‍पणियां:

  1. जिंदगी की किताब
    नई है हर बार ।

    जूझता है जीवन
    स्वयं के कर्म संग ।
    सत्य एवं सुंदर..... ज़िंदगी की किताब नयी हर बार ... सच कहा शशि जी, जीवन को अपने कर्मों का लेखे जोखे से तो जूझना ही होता है... बहुत सुंदर पंक्तियाँ
    सादर
    मंजु

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  2. पैसे का नशा
    मस्तक पे है चढ़ा
    सोई चेतना
    नजर का है धोखा
    वक्त जब बदला ।

    सभी तांका जीवन के सच को कहते हुये

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  3. जाना है पार
    जिंदगी की किताब
    नई है हर बार ।
    बहुत सुन्दर!
    इला

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  4. जीवन दर्शन कराते सभी तांका बहुत अच्छे लगे ,खासकर पहला तांका...बधाई!

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  5. आए अकेले
    दुनिया के झमेले
    जाना है पार
    जिंदगी की किताब
    नई है हर बार ।

    sundar umaon se purn aapke taanka bahut achchhe lage bahut2 badhai

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  6. आए अकेले
    दुनिया के झमेले
    जाना है पार
    जिंदगी की किताब
    नई है हर बार ।
    बहुत अच्छा तांका है...मेरी बधाई...।

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  7. ढलती उम्र
    शिथिल है पथिक
    अकेलापन
    जूझता है जीवन
    स्वयं के कर्म संग ।
    सच्चाई कह रहा है आपका ये तांका
    सभी तांका अपने आपमें अनूठे है आपको बहुत बहुत बधाई
    रचना

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  8. जिंदगी की किताब
    नई है हर बार ।...सभी तांका....बहुत सुंदर और भावपूर्ण है .....

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  9. सभी ताँका बहुत बेहतरीन. ये बहुत ही खास लगा...
    ढलती उम्र
    शिथिल है पथिक
    अकेलापन
    जूझता है जीवन
    स्वयं के कर्म संग ।

    शुभकामनाएँ.

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  10. सभी ताँका बहुत खूबसूरत ।
    कृष्णा वर्मा

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  11. पैसे का नशा
    मस्तक पे है चढ़ा
    सोई चेतना
    नजर का है धोखा
    वक्त जब बदला

    बहुत सुंदर तांका हैं बधाई,

    सादर,

    अमिता

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  12. aap sabhi ka harday se abhar sunder samiksha se protsahan ke liye .

    shukriya himanshu ji mujhe shamil karne ke liye

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  13. सार सार है क्षणिकाओं में……… बेहतरीन

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  14. ज्योत्स्ना शर्मा9 अप्रैल 2012 को 12:25 pm बजे

    जीवन दर्शन की सरल और बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .....बधाई आपको ....!

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  15. बेहद खूबसूरत अभियक्ति शशि जी,बधाई स्वीकारें...

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