रविवार, 22 अप्रैल 2012

चंचल चाँद


डॉ  हरदीप कौर सन्धु
1
चंचल चाँद
खेले बादलों संग
आँख-मिचौली
मन्द-मन्द मुस्काए
बार-बार खो जाए
2
दूल्हा वसन्त
धरती ने पहना
फूल- गजरा
सज-धज निकली 
ज्यों दुल्हन की डोली 
3
ओस की बून्द
मखमली घास पे 
मोती बिखरे 
पलकों से  चुनले
कहीं  गिर  न जाएँ !
4
दुल्हन रात 
तारों कढ़ी चुनरी
ओढ़े यूँ बैठी 
मंद-मंद मुस्काए 
चाँद दूल्हा जो आए !
5
बिखरा सोना
धरती का आँचल
स्वर्णिम हुआ
धानी -सी चूनर में
सजे हैं हीरे- मोती
6
पतझड़ में
बिखरे सूखे पत्ते
चुर्चुर करें
ले ही आते सन्देश
बसंती पवन का
7
पतझड़ में
बिन पत्तों के पेड़
खड़े उदास
मगर यूँ न छोड़ें
वे  बहारों की आस
8
हुआ  प्रभात
सृष्टि ले अँगड़ाई
कली मुस्काई
प्रकृति छेड़े तान
करे प्रभु का गान
9
अम्बर छाईं
घनघोर घटाएँ
काले बादल
घिर-घिर घुमड़े
जमकर बरसे !
10
बादल छाए
चलीं तेज़ हवाएँ
बरसा पानी
भागी रे धूल रानी
यूँ घाघरा उठाए !
11
ओस की बूँदें
बैठ फूलों की गोद
लगता ऐसे
देखने वो निकलीं
छुपकर के रूप 
-0- 

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर तांका हैं हरदीप जी हार्दिक बधाई...खासकर यह वाला तो मुझे मेरे गॉंव ले गया

    बिखरा सोना
    धरती का आँचल
    स्वर्णिम हुआ
    धानी -सी चूनर में
    सजे हैं हीरे- मोती
    सादर,
    अमिता कौंडल

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  2. प्रकृति का बड़ा सजीला-सटीक वर्णन है इन ताँका में...बधाई...।
    प्रियंका

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  3. बहुत सुंदर ...हर तांका अपने मेन गहन भाव भरे हुये

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  4. बहुत खूबसूरत तांका हरदीप जी बहुत बधाई।

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  5. ज्योत्स्ना शर्मा27 अप्रैल 2012 को 11:24 am बजे

    सभी तांका बहुत सुन्दर हैं ....मनमोहक...बहुत बधाई...!

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  6. बहुत ही सुन्दर भाव लिए हुए....हर तांका ख़ूबसूरत है....

    सादर

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  7. aap ke sabhi tanka bahut khoobsurat hain....aapke kavya mein din-b-din bahut hi nikhaar aa raha hai.....bahut badhai

    subh ishayon sahit
    devinder sidhu

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  8. वाह, क्या बात है! …हर ताँका रोचक लगा और शहर से दूर कहीं प्रकृति की गोद में ले गया! मनोस्थिति कुछ यूँ हो गई:

    अम्बर छाईं
    घनघोर घटाएँ
    काले बादल
    घिर-घिर घुमड़े
    जमकर बरसे !

    आपको हार्दिक बधाई और धन्यवाद!
    सादर/सप्रेम
    सारिका मुकेश

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  9. चंचल चाँद
    खेले बादलों संग
    आँख-मिचौली
    मन्द-मन्द मुस्काए
    बार-बार खो जाए
    waah bahut sunder ek se badhkar ek badhai

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  10. सभी तांका अत्यंत मनभावन और मोहक ! मोहक प्रकृति के सौंदर्य को बहुत ही खूबसूरत शब्दों में चित्रित किया है आपने ! आपको पढ़ कर परम आनंद की अनुभूति हुई!
    बधाई डॉ हरदीप कौर सन्धु जी !

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  11. बादल छाए
    चलीं तेज़ हवाएँ
    बरसा पानी
    भागी रे धूल रानी
    यूँ घाघरा उठाए !
    धुल का घाघरा उठा के भागना बहुत सुंदर बिम्ब
    रचना

    जवाब देंहटाएं
  12. सभी ताँका बहुत सुन्दर, बहुत प्यारा बिम्ब...

    दुल्हन रात
    तारों कढ़ी चुनरी
    ओढ़े यूँ बैठी
    मंद-मंद मुस्काए
    चाँद दूल्हा जो आए !

    बधाई.

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