मंगलवार, 10 जुलाई 2012

आँचल -छाँव


1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
मेरे मोहना
उस पार ले चल
चलूँगी सँभलके
दे  ज्ञान दृष्टि
मिटे अज्ञान सारा
ऐसे मुझे मोह ना ।
2
गीत बनेंगे
बस दो मीठे बोल,
सच्चे मीत बनेंगे
पथ में तेरे
उजियारे फैलाते
नन्हें दीप बनेंगे ।
-0-
2-सुशीला शिवराण
1
आँचल
-छाँव
मीठी नींद सो जाते
सपनों के गाँव से
आती परियाँ
देतीं खूब हिंडोले
वे स्मृतियों के झूले !
2
प्रसव-पीड़ा
भूली झट प्रसूता
देखा हसरतों से
उसका अंशी
आया नन्हा फ़रिश्‍ता
माहताब निशा का ।
3
गुड्‍डेगुड़िया
होता धूम से ब्याह
अलस दोपहरी
बाल-मंडली
खेला करती खेल
बसा दिलों में नेह।
4
मृगतृष्‍णा है
सजन तेरी प्रीत
दूर से भरमाए
पास जो जाऊँ
बस शून्य ही पाऊँ
यूँ मोहे भटकाए!
5
कारे बदरा
मड़-घुमड़के
बरसे जो जमके
पुलकी धरा
सौंधी माटी की खूश्‍बू
छाई मस्ती हरसू।
-0-

11 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut achchha laga eak nayi vidha padhkar...kaamboj ji, hardeep ji ka bahut2 aabhaar..sabhi lekhkon ko badhai..

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  2. सुन्दर ! ज्योत्स्ना शर्मा की रचना " गीत बनेंगे / बस दो मीठे बोल /सच्चे मीत बनेंगे ..." का भावमाधुर्य सहज मन मोह लेता है । सुशीला शिवराण का " मृगतृष्णा है / सजन तेरी प्रीत / दूर से भरमाए / पास जो जाऊँ / बस शून्य ही पाऊँ / यूँ मोहे भटकाए " बहुत ही अच्छा है; गिले-शिकवे का वही अंदाज़ लिए जो हर-घड़ी प्यार में खोए-खोए रहने वाले प्रेमियों में होता है !!

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    1. प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार ashwini kumar vishnu।

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  3. बहुत सुन्दर सेदोका ज्योत्सना जी, सुशीला जी आप को बहुत बधाई।
    कृष्णा वर्मा

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  4. बढ़िया सेदोका .... अच्छा लगा इनको पढ़ना

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  5. बहुत सुन्दर दी ..नई विद्या के बारे मेँ जानकारी देने के लिए शुक्रिया ..
    सभी सेदोका भावपूर्ण व साहित्यिक दृष्टी से सम्पन्न ..लाजवाब

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  6. सभी सदोका मनभावन और अर्थपूर्ण है...शुभकामनाएँ

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  7. ज्योत्स्ना शर्मा11 जुलाई 2012 को 10:20 pm बजे

    सुंदर प्रेरक शब्दों के साथ आपकी उपस्थिति के लिये हृदय से आभार .....
    ..सादर ज्योत्स्ना शर्मा

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  8. ज्योत्सना जी और सुशीला जी को बहुत बहुत बधाई. सभी सेदोका बहुत सुन्दर है.

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