शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

जीवन- राहें



भावना सक्सेना

जीवन- राहें 
हम पत्थर सम
घिसती जातीं 
अनुभव -लहरें
मन की राहें 
इक कोरा कागज़
अश्रु की  स्याही 
रंग जाती कतरे 
अनंत चाहें 
तूफानी समंदर
स्नेह- कांचन
कर जाए निर्मल
जीवन हो कविता।
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8 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन- राहें
    हम पत्थर सम
    घिसती जातीं
    अनुभव -लहरें
    मन की राहें
    इक कोरा कागज़
    अश्रु की स्याही

    Bahut sundar Bhavna ji...

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  2. बहुत सुंदर चोका है सुंदर भावों भरा बधाई,
    सादर,
    अमिता कौंडल

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  3. सुन्दर भावपूर्ण चोका...बधाई।

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  4. आदरणीय काम्बोज का आभार, एक नई विधा में पदार्पण कराने के लिए......हृदय से धन्यवाद

    मंजू मिश्रा जी, संगीता स्वरुप जी, अमिता कौंडल जी प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार।

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  5. ज्योत्स्ना शर्मा24 अक्टूबर 2012 को 11:22 pm बजे

    जीवन दर्शन को सहज सुन्दर रूप में अभिव्यक्त किया आपने ...बहुत बधाई !!

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  6. गहन भावाभिव्यक्ति से भरे इस सुन्दर चोका के लिए बधाई...।
    प्रियंका

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