बुधवार, 7 नवंबर 2012

याद- परिंदे



डॉ• भावना कुँअर
कहाँ से आए
ये उड़ते-उड़ाते
याद- परिंदे
हम कैसे बताएँ
भीगी पलकें
उदासियों का चोला
पहने बैठीं
चुपके से आकर
देखो तो ज़रा
हवाओं के ये झोंके
आँखों से कैसे
यूँ मोती चुराकर
आसमान सजाएँ ।
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8 टिप्‍पणियां:

  1. भावना जी सुन्दर चोका बधाई।

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  2. "आँखों से कैसे
    यूँ मोती चुराकर
    आसमान सजाएँ "

    बहुत सुंदर ! भावना जी को पढ़ना सदा ही आनंद से भर देता है।

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  3. ज्योत्स्ना शर्मा7 नवंबर 2012 को 2:59 pm बजे

    मन को छू लेने वाली प्रस्तुति ...
    बहुत बधाई ...भावना जी

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  4. बड़ी भावपूर्ण प्रस्तुति है...बधाई...।
    प्रियंका

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  5. बहुत ही भावनापूर्ण खूबसूरत चौका बधाई आपको

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  6. भावपूर्ण प्रस्तुति है. "देखो तो ज़रा
    हवाओं के ये झोंके
    आँखों से कैसे
    यूँ मोती चुराकर
    आसमान सजाएँ ..."

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