बुधवार, 12 दिसंबर 2012

रिश्ता अबोला



1-डॉ सुधा गुप्ता
1
रिश्तों की डोर
लिपट जाए मन
खुल न पाए
पशु-पक्षी -मानव
सबको ही लुभाए ।
2
भोर में आती
गाती , चहचहाती
प्यारी सहेली
नन्ही  भूरी गौरैया
मन बहला जाती
3
छत पे आती
चपल गिलहरी
पूँछ नचाती
करती कूद-फाँद
माँगती है बादम ।
4
मन का कोना
भीग उठा नेह से
नन्ही ‘मोतिया’
पाँवों में आ बैठी जो
मेरी धोती घेर के ।

5
गोद में पड़ी
नन्ही परी नतिनी
देखूँ सपने
उड़ूँ बिना पंख के
नाप लेती आकाश ।
6
चाँद मुखड़ा
गोल आँखें घुमाता
माथे अलक
पूरा कृष्ण कन्हैया
लाडला मेरा भैया ।
7
पावान छाँव
नानी के आँचल की:
फरफराया
‘रहल’ पे बिराजी
रामायण का  पन्ना ।
8
भीगी पलकें
बींध गईं थीं मन
रिश्ता अबोला
अबूझ थी पहेली
अटूट है बन्धन ।
-0-
‘रहल’ Xआकार की एक चौकी जिस पर टिकाकर पुस्तक पढ़ी जाती है।

2- डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
परखना क्या
इन्हें तू प्यार कर
रिश्ते काँच हैं
नाज़ुक से होते हैं
टूटें ,दर्द ढोते हैं ।
2
हाँ ,पँखुरी से
सहेज लिये सारे
जो रिश्ते मिले
फिर जीवन मेरा
क्यों न फूल- सा  खिले !
3
तुम से रिश्ते
कुछ ऐसे निभाए
बाँधा बंधन
चाहा फिर गिरह
यूँ पड़ने न पाए ।
4
रिश्ता हमारा 
मैंने जोड़ा ही नहीं
जी भर जिया,
प्रीत के साथ दर्द
तुमने दिया ,लिया ।
5
जैसे भी चाहो
ओढ़ना या बिछाना
इतना सुनो
ये रिश्तों की चादर
दाग़  मत लगाना ।
6
मौला, ये रिश्ते !
कितने अजीब हैं
दूर लगते
अक्सर हमारे जो
बेहद करीब हैं ।
7
सीख लेती हूँ
यहाँ रिश्ता निभाना
मैं ज़ारों से
फूल का खुशबू से
रात का सितारों से ।
8
वो मेरा गाँव
गलियाँ,खेत ,गैयाँ
नीम पे झूले
कहितो ,ये रिश्ते
कैसे जाएँगे भूले !
9
कह लीजिए-
मौसम सुहाना है ,
सच तो यही-
आँखों का सपनों से
रिश्ता पुराना है ।
-0-

8 टिप्‍पणियां:

  1. सभी ताँका बेहद सुंदर भाव और शिल्प दोनों पक्ष बहुत ही मज़बूत। बधाई !

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  2. सुधा जी, ज्योत्स्ना जी,
    बहुत मन को भाये यह मनभावन तांका |

    भीगी पलकें

    बींध गईं थीं मन

    रिश्ता अबोला

    अबूझ थी पहेली

    अटूट है बन्धन ।

    तथा

    हाँ ,पँखुरी से

    सहेज लिये सारे

    जो रिश्ते मिले

    फिर जीवन मेरा

    क्यों न फूल- सा खिले !बधाई आपको |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. jyotsana ji aur sudha ji ke tanka bahut acche lagae ,
      jyotsana ji aapke 2,4 bahut acche lage , sudha ji ke 78 bahut pasand aaye . sabhi tanka sashakt hai badhai

      हटाएं
  3. सभी ताँका बहुत गहरे भाव लिए हुए हैं. स्त्री मन का बहुत कोमल भाव...

    मन का कोना
    भीग उठा नेह से
    नन्ही ‘मोतिया’
    पाँवों में आ बैठी जो
    मेरी धोती घेर के ।


    प्रेरक सन्देश...

    जैसे भी चाहो
    ओढ़ना या बिछाना
    इतना सुनो
    ये रिश्तों की चादर
    दाग़ मत लगाना ।

    सुधा जी और ज्योत्सना जी को हार्दिक बधाई.

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  4. बहुत सुंदर !
    रिश्ते जीवन में इतने महत्वपूर्ण और कोमल भावनाओं से खिलते , महकते हैं... कि इन्हें जितना चाहें भावनाओं के समंदर में लहराते हुए बयान किया जा सकता है !
    सभी ताँका एक से बढ़कर एक हैं ! सुधा गुप्ता जी, ज्योत्सना शर्मा जी, आप दोनों को हार्दिक बधाई !:)
    ~सादर !!!

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  5. बहुत ही खूबसूरत...मन को भाने वाले...बधाई...|
    प्रियंका

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  6. ज्योत्स्ना शर्मा20 दिसंबर 2012 को 1:09 pm बजे

    रिश्तों की डोर से सभी को स्नेह बंधन में बाँधती आदरणीया दीदी की उपस्थिति बहुत कुछ सिखा जाती है हमें ..सभी ताँका बहुत सुन्दर हैं ..बहुत धन्यवाद पढ़ने का अवसर देने के लिए ...
    सादर नमन के साथ ..ज्योत्स्ना

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  7. ज्योत्स्ना शर्मा20 दिसंबर 2012 को 1:14 pm बजे

    आ सुशीला जी ,शशि पाधा जी ,shashi purwar ji ,डॉ जेन्नी शबनम जी ,Anita ji एवं प्रियंका जी ...आपके प्रेरक कमेंट्स अनमोल निधि हैं हमारी ...बहुत बहुत आभार ...!!
    सादर ...ज्योत्स्ना

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