मंगलवार, 18 दिसंबर 2012

तुम मौसम


डॉ हरदीप कौर सन्धु
1
तुम मौसम
सर्दी में नाराज़गी
हो ऋतु  बसंत से
दिल के कोने
तुम्हारी ये बसंत
मस्ती में मुस्कराए ।
2
शरद भोर
खेले धूप मुँडेर
काढ़नी उबलता
माँ के आँगन
दूध धीरे- धीरे से
उड़ रही खुशबू ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. "शरद भोर
    खेले धूप मुँडेर
    काढ़नी उबलता
    माँ के आँगन
    दूध धीरे- धीरे से
    उड़ रही खुशबू ।"
    बहुत सुंदर सेदोका !
    डॉ सरस्वती माथुर

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  2. ज्योत्स्ना शर्मा20 दिसंबर 2012 को 12:50 pm बजे

    शरद भोर
    खेले धूप मुँडेर
    काढ़नी उबलता
    माँ के आँगन
    दूध धीरे- धीरे से
    उड़ रही खुशबू ।.....सुन्दर चित्र उपस्थित किया आपने ...!!

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