गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

है धूप कहीं छाया


माहिया
डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
रुत  बदली बदली है
अपना राज लगे
अपनी -सी ढपली है ।
2
हम फिर से गाएँगे
बीत गए बरसों
वो फिर से आएँगे ।
3
है धूप कहीं छाया
हम तो हैं उनके
जाना , फिर तरसाया ।
4
अँखियाँ ये तरस गईं
कल घनघोर घटा
यादों की बरस गई ।
5
हम तुमको जान गए
पानी में चन्दा
हम सच पहचान गए ।
6
तेरे   हो  जाएँगे,
बस इक बार कहो
वरना खो जाएँगें ।
7
वो दिन अब किधर गए !
मन की माला के
सब मनके बिखर गए ।
8
सपना है प्यारा -सा
चमके ये जीवन
बनके ध्रुव तारा -सा ।
9
वो दिन कब के गुजरे 
बिटिया अब माँ के
नयनों में ज्योत भरे ।
10
हक हमको पाने हैं
इतना याद रहे
कुछ फ़र्ज़ निभाने हैं ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा 14/12/12,कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है

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  2. बहुत प्यारा माहिया लिखा है बधाई आपको

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  3. सभी माहिया अत्यंत मनभावन। आप बहुत सुंदर लिखती हैं।
    बधाई डॉ ज्योत्स्ना शर्मा !

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  4. हम फिर से गाएँगे
    बीत गए बरसों
    वो फिर से आएँगे ।
    ummid se labrej bhav
    badhai
    rachana

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  5. namaskaar jyotsana ji
    sabhi mahiya bahut acche lage
    2
    हम फिर से गाएँगे
    बीत गए बरसों
    वो फिर से आएँगे ।
    3
    है धूप कहीं छाया
    हम तो हैं उनके
    जाना , फिर तरसाया ।
    4

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  6. ज्योत्स्ना शर्मा20 दिसंबर 2012 को 1:18 pm बजे

    aa Rajesh kumari ji ,Sushila ji ,Rachana ji ,priyankaa ji evam Shashi purwar ji ..आपके इस सहज स्नेह के लिए ह्रदय से धन्यवाद ...!!

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