शनिवार, 15 दिसंबर 2012

हँसी बोती है बेटी ।


रचना श्रीवास्तव
1
अँगुली थाम
जो  चलती थी कभी
वो मेरी बेटी
कन्धे तक पहुँची
अब बड़ी हो गई
2
छुपाऊँ  भाव
फिर भी वो चेहरा
पढ़ लेती  है
बदली  इतना कि
दोस्त लगने लगी
3
बेटे अच्छे है
मानती हूँ मै ,पर 
माँ समझती
बेटी होने का सुख
सिर्फ़ माँ ,और नहीं ।
4
साथ पाती  हूँ
जब भी सोचती हूँ
अब मै कभी
अकेली नहीं होती
हँसी  बोती है बेटी
5
जब बिटिया
लिखती है कविता
भावों से भरी ,
तब लगता है के
बड़ी हो गई बेटी  

6
जब बिटिया
सजने लगती है
देखे दर्पण
तो माँ को चिंता होती
बढ़ती धड़कन  ।
7
दो राहों में से
चुनती  सही राह
तो माँ सोचती -
संस्कारों की सुगन्ध
मन-आँगन बसी ।
-0-

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुंदर !:)
    बधाई रचना जी !
    ~सादर!!!

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  2. वाह !! बिटिया के लिए बहुत सुंदर भाव
    बेटियाँ होती ही हैं प्यारी...
    सबसे बड़ी दोस्त बन जाती हैं वो!
    बहुत बहुत बधाई !!

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  3. बहुत सुंदर .... यही एहसास होते हैं बेटी के लिए ।

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  4. भावपूर्ण,स्नेह से पगे सुंदर तांका।
    रचना श्रीवास्तव जी बधाई !

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  5. बहुत प्यारे भाव रचना जी बधाई।

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  6. बहुत प्यारे भाव लिए रचना...
    बधाई आपको..

    अनु

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  7. बेटियाँ सच में बहुत प्यारी होती हैं...|
    खूबसूरत भावों से भरे तांका के लिए बधाई...|
    प्रियंका

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  8. ज्योत्स्ना शर्मा20 दिसंबर 2012 को 12:54 pm बजे

    मन को सुकून देते ...भारतीय परिवेश और संस्कारों को ध्वनित करते ...बहुत सुन्दर ताँका ...
    बहुत बहुत बधाई रचना जी

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  9. माँ समझती
    बेटी होने का सुख
    सिर्फ़ माँ ,और नहीं ।
    रचना जी आपके सभी तांका बहुत खूबसूरत और भावपूरत हैं। शुभ कामनाओं के साथ...
    दविंदर सिधु|

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